अमरावती जिले के संतरा उत्पादक किसान इन दोनों अपनी फसल को लेकर काफी चिंतित है. इसलिए वह तहसील कार्यालय पर आंदोलन करने को लेकर मजबूर हो गए हैं. इसे देखते हुए आज सैकड़ो की संख्या में किसानों ने तहसील कार्यालय को सामने संतरे की फसल को फेंक दिया और विरोध प्रदर्शन किया. किसानों का कहना है कि पहले ही बांग्लादेश ने एक्सपोर्ट ड्यूटी ज्यादा बढ़ने से वहां पर संतरा एक्सपोर्ट नहीं हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ देश के व्यापारी संतरे की खरीदारी नहीं कर रहे हैं. हालांकि अम्बिया बाहर कसैंड्रा दिसंबर के 15 तारीख को ही पेड़ से उतरकर मार्केट में जाता है लेकिन इस साल बे मौसम बारिश के कारण और फसल का उठाव नहीं हो रहा है.
फसल का उठाव नहीं होने के कारण किसानों को नुकसान हो रहा है. व्यापारी अधिक दाम लेकर फसल खरीदने को तैयार नहीं है, जबकि खेती में किसानों की लागत बढ़ गई है. खेती की बढ़ी हुई लागत के कारण किसान ऐसे ही परेशान है. क्योंकि किसानों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. खास कर मौसम की मार कारण किसानों को झेलना पड़ता है. वहीं राज्य के व्यापारी दूसरे राज्यों से कम कीमत पर उत्पाद खरीद कर लाते हैं और राज्य में बेचते हैं.
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देश में संतरे की सबसे बड़ी मंडी अमरावती जिले के वरुड में हैं. यहां से पूरे देश में नागपुरी संतरे का एक्सपोर्ट होता है. पर इस साल यहां के किसानों की स्थिति बेहद खराब हो गई है. यहां पर किसानों को 20 रुपये से अधिक की कीमत नहीं मिल रही है. जबकि किसानों का कहना है कि व्यापारियों को राजस्थान में इससे कम दाम में संतरा मिल रहा है. इसलिए व्यापारी यहां के किसानों से फसल की खरीदारी नहीं कर पा रहे हैं. इसका खामियाजा किसानों को भुगताना पड़ रहा है.
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किसानों के संतरे की खरीद नहीं होने के कारण किसान भी अब फलों पर ध्यान नहीं दे रहे है.इसके कारण जनवरी महीने में फसलों की तुड़ाई का मौसम होने के बाद भी किसान अपने पेड़ से फलो की तुड़ाई नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में किसानों की मांग है की सरकार के प्रतिनिधि संतरे के सरकारी दाम तय करें और किसानों से संतरे की खरीद की जाए. नहीं तो किसानों के संतरे की फसल बर्बाद हो जाएगी और किसानों को नुकसान हो जाएगा. इसलिए किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि उनके संतरे की खरीद की जाए.
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