
उत्तराखंड में इन दिनों खेतों का माहौल शानदार दिख रहा है. मॉनसून की रिमझिम बारिश के बीच धान की रोपाई चल रही है. इसी बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी आज सुबह-सुबह खेतों में धान की रोपाई करते और हल चलाते दिखे. दरअसल, वो अपने गृह क्षेत्र खटीमा के नगरा तराई क्षेत्र में अपने खेत में धान की रोपाई कर किसानों के परिश्रम, त्याग और समर्पण को नजदीक से महसूस किया और नमन किया. उन्होंने कहा कि खेतों में उतरकर पुराने दिनों की यादें ताजा हो गईं. साथ ही उन्होंने किसान जीवन की कठिनाइयों और तपस्या को सराहा. मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि अन्नदाता न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बल्कि वे हमारी संस्कृति और परंपराओं के संवाहक भी हैं.
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की समृद्ध और सांस्कृतिक विरासत “हुड़किया बौल” के माध्यम से भूमि के देवता भूमियां, जल के देवता इंद्र और छाया के देवता मेघ की वंदना की. मुख्यमंत्री के इस सांस्कृतिक जुड़ाव और किसानों के साथ क्षेत्रीय जनता को खेती-किसानी के लिए प्रेरित किया. मुख्यमंत्री धामी की यह पहल उत्तराखंड की ग्रामीण संस्कृति, किसानों की अहमियत और पारंपरिक लोक कलाओं के संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है. वह धान की रोपाई करने के साथ ही बैल के जरिए खेत जोतते भी नजर आए. वहीं, इन तस्वीरों और अनुभव को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट शेयर किया.
बता दें कि सीएम पुष्कर सिंह धामी लगातार खेती के क्षेत्र में किसानों की बेहतरी के लिए काम करते आए हैं. वे लगातार किसानों के संपर्क में रहते हैं और उनसे मुलाकात भी करते हैं. इससे पहले भी मुख्यमंत्री धामी को खेतों में उतर कर किसानों के साथ काम करते देखा गया है. वे अपने आवास में भी बागवानी करते हैं. हम सब जानते हैं कि उत्तराखंड में खेती करना काफी चुनौती भरा काम है, ऐसे में सीएम ने खुद बैल चलाकर धान की रोपाई करते हैं तो राज्य के किसानों को बड़ा प्रोत्साहन मिलता.
उत्तराखंड में आंकड़ों के अनुसार, लगभग सवा दो लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर धान की खेती होती है. वहीं, राज्य में 6 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान का उत्पादन होता है. धान उत्पादन में राज्य के ऊधम सिंह नगर, हरिद्वार, देहरादून और नैनीताल और पौड़ी गढ़वाल के भाबर इलाके में सबसे अधिक धान की खेती होती है. वहीं, उत्तराखंड में हरे भरे खेतों में महिलाएं धान की रोपाई करती हैं. पहाड़ी जिलों में धान की रोपाई होते देखना सुखद अनुभव होता है क्योंकि महिलाएं अपनी धुन में पारंपरिक गीत गाते हुए धान की रोपाई करती हैं.
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