एमबीए और इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले युवा भी अब खेती में नए मुकाम हासिल कर रहे हैं. ऐसे ही एक युवा जौनपुर के रजनीश सिंह हैं जिन्होंने एमबीए की डिग्री लेने के बाद मल्टीनेशनल कंपनी में भारी भरकम पैकेज पर नौकरी की. अब वे नौकरी छोड़कर जहर मुक्त खेती करने में जुट गए हैं. खेती की तरफ लौटना उनके लिए एक संयोग था. उनके भाई की कैंसर से मौत होने के बाद उन्होंने यह ठान लिया कि अब जहर मुक्त खेती करके लोगों को बीमारी से बचाने का काम करेंगे. खेती में बढ़ रहे रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक के बढ़ते प्रयोग के चलते लोगों को गंभीर बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है. ऐसे में रजनीश अब गांव में अपने 30 एकड़ के फार्म में इंटीग्रेटेड फार्मिंग करते हैं. इसमें वे पशु पालन, मछली पालन, मुर्गी पालन के साथ-साथ स्प्रिंकलर के माध्यम से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. वे खेती के जरिये हर साल 60 लाख से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं. आज उनके इस मॉडल को न सिर्फ कृषि विभाग के द्वारा सराहा जा रहा है बल्कि बिहार से भी किसान उनके यहां ट्रेनिंग लेने के लिए पहुंच रहे हैं.
जौनपुर जिले के जलालपुर क्षेत्र के नवापुरा गांव के रहने वाले रजनीश सिंह ने कभी नहीं सोचा था कि वे खेती करेंगे. वे मुंबई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे सैलरी पैकेज पर नौकरी कर रहे थे, लेकिन एक दिन उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ जिसके चलते उन्हें अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर अपने गांव लौटना पड़ा. रजनीश सिंह ने किसान तक को बताया कि उनके भाई की कैंसर से मौत हो गई. वे कोई नशा नहीं करते थे, फिर भी दूषित खानपान के चलते उन्हें कैंसर हुआ.
इस घटना की वजह से उन्होंने गांव में आकर जहर मुक्त खेती करने का फैसला किया. उन्होंने 30 एकड़ जमीन पर इंटीग्रेटेड फार्मिंग की शुरुआत की. उन्होंने अपने फार्म पर मछलीपालन, मुर्गी पालन, पशुपालन के साथ-साथ बागवानी और खेती शुरू की. 2020 में इस खेती के जरिए उन्होंने आसपास के लोगों को कोविड के दौर में खेती के नए गुर सिखाए. अब वे जौनपुर जिले में मछलीपालन के क्षेत्र में 30 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई हर साल पा रहे हैं.
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जौनपुर के युवा किसान रजनीश सिंह बताते हैं कि उन्होंने 08 एकड़ जमीन पर अलग-अलग छह तालाब बनाए हैं. इस तालाब में अलग-अलग किस्मों की मछलियां पालते हैं. वे एक तालाब में मछली के बच्चों का पालन करते हैं. वे किसानों को सस्ती दरों पर इसे बेचते भी हैं. हर साल मछली पालन के माध्यम से उन्हें 30 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी हो रही है. मछली पालन के साथ-साथ तालाब की मेड़ पर उन्होंने आम, अमरूद, केले के साथ-साथ सहजन के भी पेड़ लगाए हैं जिनसे उन्हें अतिरिक्त आय मिल रही है. उनके इस फॉर्मूले को देखकर कृषि विभाग ने उन्हें कई सम्मान दिए हैं.
मुर्गी पालन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश तेजी से आगे बढ़ रहा है. रजनीश ने भी कंपनी आधारित लेयर मुर्गी फार्म के साथ-साथ देसी किस्म का मुर्गी फार्म शुरू किया. वह देसी मुर्गी फार्म में खेती के साथ-साथ मोरिंगा की पत्तियां खिलाते हैं. उनकी देसी मुर्गियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. आज उनके फार्म में 500 मुर्गियां हो चुकी हैं जिनसे उन्हें अंडे भी प्राप्त हो रहे हैं. देसी मुर्गियों की अच्छी कीमत मिलती है. अब इनकी संख्या बढ़ने पर वे तेजी से काम कर रहे हैं. ठंड के मौसम में देसी मुर्गे की कीमत 500 रुपये किलो तक जा पहुंची है. उन्होंने बताया कि फार्म आधारित मुर्गीपालन से उन्हें हर साल 15 लाख से अधिक की कमाई हो रही है.
अभी भी ग्रामीण इलाकों में खेती ज्यादातर नलकूप और नहर के पानी के जरिए हो रही है, लेकिन जौनपुर के रहने वाले रजनीश सिंह अपनी खेती स्प्रिंकलर के जरिए कर रहे हैं. उन्होंने किसान तक को बताया कि स्प्रिंकलर के जरिए खेती करने से 50 फ़ीसदी से ज्यादा की पानी की बचत होती है जबकि उत्पादन में 15 से 20 फ़ीसदी की बढ़ोतरी भी हो रही है. उन्हें सरकार की स्प्रिंकलर योजना से मदद मिली है. आज गेहूं, सरसों, आलू की खेती को वे पूर्णतया स्प्रिंकलर के माध्यम से करते हैं. स्प्रिंकलर के माध्यम से खेती करने से खेत में नमी बनी रहती है जिससे पौधों का विकास और उत्पादन भी बढ़िया मिलता है.
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