गाय-भैंस हीट में आई है या नहीं. हीट में आने के बाद गर्भवती हुई हैं या नहीं. ये दो बातें ऐसी हैं जिसे लेकर हर एक पशुपालक परेशान रहता है. क्योंकि गाय-भैंस के हीट में आने के बाद अगर उसे गाभिन नहीं कराया तो फिर अगले 20 से 22 दिन तक इंतजार करना पड़ता है. ऐसे में वक्त तो खराब होता ही है साथ में आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. अगर एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो इन दो परेशानियों के चलते होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है. वो भी सिर्फ 10 रुपये खर्च करके.
आंकड़ों के मुताबिक नस्ली भैंसों की बात करें तो देश में सबसे ज्यादा संख्या मुर्रा भैंस की है. मुर्रा भैंस देश में जहां छह करोड़ के आसपास हैं, वहीं दूसरी नस्ल की भैंसे 50 लाख के आंकड़े से भी नीचे हैं. गायों के मुकाबले कम संख्या में होने के बाद भी देश के कुल दूध उत्पादन में भैंस के दूध की हिस्सेदारी 45 फीसद है.
ये भी पढ़ें: Animal Husbandry: 7 साल में डेयरी, फिशरीज-पोल्ट्री की बदल जाएगी तस्वीर, नौकरी-रोजगार के होंगे लाखों मौके
एनीमल एक्सपर्ट के मुताबिक होता ये है कि अगर कोई भैंस हीट में आती है और वक्त रहते वो गाभिन (गर्भवती) नहीं होती है तो इसका एक बड़ा नुकसान पशु पालक को होता है. क्योंकि जब तक भैंस गाभिन नहीं होगी और बच्चा नहीं देगी तो तब तक वो दूध देना भी शुरू नहीं करेगी. कई बार होता यह है कि भैंस हीट में आती है और पशु पालक उसे गाभिन कराने की प्रक्रिया का पालन भी करता है, लेकिन किसी ना किसी वजह से भैंस गाभिन होने से रह जाती है. लेकिन पशु पालक को इस बात का पता बहुत देरी से चल पाता है और तब तक भैंस के गाभिन होने का वक्त निकल चुका होता है.
सीआईआरबी के डायरेक्टर टीके दत्ता का कहना है कि प्रेग डी किट एक जैव रसायनिक प्रक्रिया है. जब हम किट का इस्तेमाल करते हुए भैंस का मूत्र इस पर डालते हैं और मूत्र का रंग गहरा लाल या बैंगनी हो जाता है तो इसका मतलब भैंस गाभिन हो चुकी है. अगर किट पर पीला रंग या हल्का रंग दिखाई दे तो समझ जाइए कि भैंस अभी गाभिन नहीं हुई है. और एक खास बात यह कि अगर आपका पशु बीमार है तो यह किट सही-सही 100 फीसद रिजल्ट नहीं बताएगी. और जांच करते वक्त इस बात का खास ख्याल रखें कि जब आप भैंस का मूत्र ले रहे हों तो उस वक्त मूत्र अपने सामान्य तापमान यानि 20 से 30 डिग्री सेल्सियस पर होना चाहिए.
ये भी पढ़ें: अमूल के पूर्व एमडी बोले- आपके प्रोडक्ट में ये तीन बातें हैं तो हजारों साल तक बिकेंगे
हाल ही में सीआईआरबी ने नागालैंड में मिथुन (पहाड़ी गोजातीय) पर भी इस प्रेग डी किट का सफल ट्रायल किया है. नार्थ-ईस्ट के पहाड़ी इलाकों में मिथुन पशु बहुत पाया जाता है. यह समुंद्र तल से तीन हजार मीटर की ऊंचाई तक पाले जाते हैं. आईसीएआर के डीडीजी रहे बीएन त्रिपाठी, सीआईआरबी के डायरेक्टर टीके दत्ता और राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान संस्थािन, नागालैंड के डायरेक्टर गिरीश पाटिल की मौजूदगी में इसका ट्रायल किया गया था.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today