महाराष्ट्र में प्याज किसानों की हालत दयनीय है. हालत ये हो गई है कि फसल की लागत भी नहीं निकल पा रही है. प्याज बेचने के लिए ट्रैक्टर का खर्च भी नहीं निकल रहा. ऐसे में किसानों को एक ही उपाय सूझ रहा है. प्याज को नष्ट करें और उसी खेत में अगेती किसी फसल की खेती कर अगली बार अच्छा मुनाफा कमाएं. नासिक में नैताले के किसान सुनील रतन बोरगुडे ने दो एकड़ में कटी हुई प्याज पर रोटावेटर चलाकर उपज को नष्ट कर दिया क्योंकि उन्हें अगली फसल की तैयारी करनी है.
नैताले के किसान सुनील रतन बोरगुडे ने दिसंबर 2022 में दो एकड़ में लाल प्याज लगाए थे. इसके लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत की थी और अच्छी क्वालिटी वाले प्याज का उत्पादन पाने के लिए एक लाख रुपये खर्च किए थे. मगर जब फसल निकलने की बारी आई, बिक्री की बारी आई तो रेट एकदम से धड़ाम हो गए. आज मार्केट में रतन बोरगुडे को 500 रुपये एक ट्रैक्टर प्याज का भाव मिल रहा है. हालत ये है कि किराये का पैसा भी नहीं निकल पा रहा है. इससे परेशान होकर रतन बोरगुडे ने दो एकड़ प्याज पर रोटावेटर चला दिया और पूरी फसल को मिट्टी में मिला दिया.
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किसान का कहना है कि केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार के पास इस मुद्दे पर गौर करने की फुर्सत नहीं है. इसलिए खेत में ट्रैक्टर चला कर उन्होंने सरकार का विरोध किया है. एक तरफ तो सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर विज्ञापन दे रही है कि किसानों की आय दोगुनी हो गई है, तो दूसरी ओर, प्याज किसान मांग कर रहे हैं कि नियमों और शर्तों में ढील दी जाए और प्याज के निर्यात के लिए एक साल की नीति तय की जाए.
बांग्लादेश और श्रीलंका को प्याज का निर्यात ठप होने से इसके दाम गिरकर 500 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गए हैं. देश के बाकी जगहों पर प्याज का उत्पादन बढ़ने से नासिक और महाराष्ट्र में लाल प्याज की मांग काफी कम हो गई है. जब कीमत गिर गई है तो किसान अपनी लागत निकालने के लिए भी जद्दोजहद कर रहे हैं. अब वही किसान प्याज को बाजार में बेचने के बजाय सड़कों पर फेंक रहे हैं. दुनिया भर के कई देशों में जहां प्याज की कमी और महंगाई है, वहीं भारत में लाखों क्विंटल प्याज बरबाद हो रहा है. यहां तक कि किसान को सही रेट भी नहीं मिल रहा है. फिलीपींस, तुर्की, मोरक्को, उज्बेकिस्तान और यूरोप के कई देशों में प्याज के दाम काफी बढ़ गए हैं.
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इधर महाराष्ट्र में प्याज के दाम चार साल के निचले स्तर पर हैं. पिछले तीन साल से प्याज औसतन 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है. इस साल की शुरुआत में जनवरी में लासलगांव बाजार में 11 लाख 62 हजार क्विंटल लाल प्याज की आवक हुई. उस समय प्याज का औसत भाव 1392 रुपये प्रति क्विंटल था. हालांकि चालू माह में आवक समान है, लेकिन दरों में 800 रुपये की गिरावट आई है. विश्लेषकों का कहना है कि थोक बाजार में प्याज की भरपूर आवक के बावजूद मांग में कमी के कारण कीमतों में भारी गिरावट आई है. निर्यात में गिरावट भी इसके लिए जिम्मेदार है.(प्रवीण ठाकरे की रिपोर्ट)
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