भारत में भी अब स्वास्थ्य के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ती जा रही है. खास कर ग्रामीण इलाकों की बात की जाए तो अब यहां के भी लोग सेहत को लेकर जागरूक हो रहे हैं. ऐसे में हेल्दी फूड की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. खासकर विदेशी फलों की मांग में भी वृद्धि देखने को मिल रहा है. पिछले कुछ वर्षों में सेब के साथ-साथ एवोकाडो और ब्लूबेरी की मांग में बढ़त देखी गई है. ऐसे में इस मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने 10 'क्लीन प्लांट सेंटर' स्थापित करने की योजना बनाई है. क्या है यह योजना और कैसे मिलेगी इससे मदद आइए जानते हैं.
पिछले कुछ वर्षों में सेब, एवोकाडो और ब्लूबेरी जैसे विदेशी फलों की मांग बढ़ने पर केंद्र सरकार अमेरिका और नीदरलैंड जैसे विकसित देशों की तर्ज पर 10 'स्वच्छ संयंत्र केंद्र' स्थापित करने की योजना बना रहा है. इससे इज़राइल, चयनित फसलों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा.
केंद्र 'आत्मनिर्भर स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम' के तहत इसको स्थापित करेगी. जिसकी घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2023-24 में भी की थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक अगले सात वर्षों में 2,200 करोड़ रुपये के कुल बजट के साथ सेब, अखरोट, बादाम, अंगूर, आम और अनार जैसे फलों की फसलों के लिए 10 केंद्र स्थापित किए जाएंगे. भारत में बागवानी फसलों के लिए रोग-मुक्त और वास्तविक रोपण सामग्री प्राप्त करना बहुत कठिन है. पौधों को आयात करने की प्रक्रिया बहुत बोझिल होती है, क्योंकि आयातित पौधों को दो साल के लिए संगरोध में रखना होता है. सूत्र ने कहा कि स्वच्छ संयंत्र केंद्रों की स्थापना के बाद यह अवधि छह महीने तक कम हो जाएगी. क्लीन प्लांट सेंटर रोग निदान, चिकित्सीय, पौधों की संख्या बढ़ाने और मातृ पौधों के उत्पादन की सेवाएं प्रदान करेंगे.
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इस योजना के लिए आर्थिक सहायता केंद्र की ओर से दिया जाएगा. सूत्र ने कहा कि इसे अनुसंधान संगठनों, कृषि विश्वविद्यालयों और निजी क्षेत्र के भागीदारों के साथ पीपीपी मोड में लागू किया जाएगा, यह कहते हुए कि राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम का संचालन करेगा. विभिन्न फलों के पौधों के लिए आयातित रोपण सामग्री की मांग पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है. एक सूत्र के अनुसार, 2018-2020 के दौरान फलों की रोपण सामग्री के आयात के लिए एक्जिम समिति द्वारा दी गई अनुमति से पता चलता है कि 2018 में 21.44 लाख सेब के पौधों का आयात किया गया था, जो 2020 में बढ़कर 49.57 लाख हो गया.
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