एक तरफ कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया केंद्र सरकार से कॉटन पर इंपोर्ट ड्यूटी खत्म करने की मांग की है. जिसका उद्देश्य कॉटन के दामों में कमी लाना है. वहीं अब किसानों ने कॉटन का दाम बढ़ाने की मांग की है. इस संबंध में किसानों की तरफ से एनसीपी नेता अनिल देशमुख ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है. देशमुख ने पत्र में कॉटन किसानों को 10,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से दाम देने की मांग की है. कॉटन की कीमतों को लेकर उन्होंने लिखा कि सरकार द्वारा घोषित कॉटन की MSP से कहीं ज्यादा किसानों की लागत है. इसलिए उन्हें अच्छा दाम मिलना चाहिए. देशमुख ने पत्र में किसानों की समस्याओं को समझने और काॅटन के दाम बढ़ाने का अनुरोध किया है.
मालूम हो कि महाराष्ट्र में इस समय कॉटन की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले गिरावट देखी जा रही है. इससे किसानों पर भारी आर्थिक प्रभाव पड़ रहा है. इसलिए मंडियों में आवक कम है और इसकी वजह से टेक्सटाइल इंडस्ट्री पूरी क्षमता पर नहीं चल पा रही है. कम दाम की वजह से ज्यादातर किसानों ने कॉटन नहीं बेचने का फैसला किया है.
केंद्र सरकार ने कॉटन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6380 रुपये तय किया है. किसान घोषित MSP को नाकाफी बता रहे हैं. किसानों का कहना हैं कि मिल रहे भाव से हम अपनी लागत तक नहीं निकाल रहे हैं. किसानों का कहना हैं कि कॉटन की खेती करने में प्रति एकड़ में बीज ख़रीदी से लेकर हार्वेस्टिंग तक का 60 से लेकर 70 हज़ार का खर्च आता हैं. ऐसे में कॉटन का 7500 से 8000 रुपये प्रति क्विंटल इतना कम रेट मिल रहा है.तो किसानों का कैसा गुजारा हो पाएगा. कॉटन की कीमतों में गिरावट से किसानों को बड़ी आर्थिक मार झेलनी पड़ रही है. किसान कॉटन की कीमत में बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे हैं.
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