देश के अंदर इस साल काॅटन का भाव बढ़ने के आसार हैं. इसके पीछे मुख्य वजह कॉटन के उत्पादन में गिरावट है. इसके लेकर कॉटन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (CAI) ने एक बार इशारा किया है. CAI ने साल 2022-23 के लिए कपास उत्पादन का अनुमान पहले साल के मुकाबले घटा दिया है. CAI के मुताबिक देश मे कपास की फसल 330.50 लाख गांठ होने की उम्मीद है. प्रत्येक गांठ 170 किलोग्राम की होती है. यह दिसंबर 2022 में जारी पहले के अनुमान से 9.25 लाख गांठ कम है. एसोसिएशन लगातार अनुमान घटा रहा है.
CAI ने आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में कपास की फसल में दो लाख गांठों की गिरावट का अनुमान लगाया है. हरियाणा में 1.5 लाख गांठ की गिरावट देखी जा सकती है, जबकि तेलंगाना में 1 लाख गांठ की गिरावट देखी जा सकती है.
राजस्थान में 0.5 लाख गांठ और पंजाब में 0.75 लाख गांठ की गिरावट हो सकती है. हालांकि, जनवरी 2023 में जारी नवीनतम फसल अनुमानों में उत्पादन 330.50 लाख गांठ बताया गया है, जो पिछले वर्ष दर्ज 307.05 लाख गांठों की तुलना में 23.45 लाख गांठ अधिक है.
गुजरात कपास फसलों के 94 लाख गांठों के अनुमानित उत्पादन के साथ सबसे बड़ा उत्पादक होगा, जो पिछले साल 76.30 लाख गांठ था.इसके बाद महाराष्ट्र में 82.5 लाख गांठ है, जो पिछले साल 75 लाख गांठ दर्ज की गई थी. तेलंगाना को 44 लाख गांठ के साथ तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने का अनुमान है, जो पिछले साल 35.4 लाख गांठ था.
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संशोधित निचले फसल आकार के आधार पर, इस वर्ष के लिए कपास की कुल आपूर्ति 374.39 लाख गांठ होने का अनुमान है, जिसमें 12 लाख गांठ आयात और 31.89 लाख गांठ का शुरुआती स्टॉक शामिल है. वही शुक्रवार 13 जनवरी, 2023 को आयोजित CAI की फसल समिति की बैठक में, इस वर्ष के लिए कपास की खपत को 300 लाख गांठ पर बरकरार रखा गया है, जिसमें मिल की खपत 280 लाख गांठ, लघु उद्योगों की खपत 15 लाख गांठ और गैर- मिल की खपत 5 लाख गांठ हैं.
सीएआई ने वर्ष के दौरान 30 लाख गांठों के निर्यात का अनुमान लगाया है, सितंबर 2023 में सीजन के अंत में समापन स्टॉक को 44.39 लाख गांठों पर छोड़ दिया. फसल समिति के सदस्यों ने दिसंबर 2022 तक कपास के आयात, निर्यात और कुल आवक पर नवीनतम अपडेट पर चर्चा की. सीएआई के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बंदरगाहों पर अब तक लगभग 4.25 लाख गांठ आने का अनुमान है.
सीएआई के रिकॉर्ड के अनुसार, दिसंबर 2022 के अंत तक कुल स्टॉक 49.27 लाख गांठ होने का अनुमान था, जिसमें कपड़ा मिलों के पास 35 लाख गांठें और शेष 14.27 लाख गांठें सीसीआई, महाराष्ट्र फेडरेशन और अन्य शामिल हैं जिनमें एमएनसी, व्यापारी, जिनर्स, एमसीएक्स, शामिल हैं.
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