महाराष्ट्र के किसानों की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. कभी प्याज का दाम एक-दो रुपये किलो हो जाता है तो कभी टमाटर का. कभी कपास का दाम कम हो जाता है तो कभी सोयाबीन का. दाम कम होना महाराष्ट्र के किसानों की सबसे बड़ी समस्या बन गई है. इसके निदान के लिए स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रमुख राजू शेट्टी ने सरकार के खिलाफ 22 फरवरी को आंदोलन करने की चेतावनी दी है. शेट्टी राज्य सरकार पर आक्रामक होते हुए नज़र आ रहे हैं, क्योंकि दाम को लेकर किसान विचलित हैं. शेट्टी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में इस समय किसान उपज का उचित दाम नहीं मिलने की समस्या से जूझ रहे हैं. इसलिए प्याज, सोयाबीन, कॉटन और दूसरी फसलों का उचित दाम दिलाया जाए.
राजू शेट्टी ने कहा कि प्याज के किसानों को पिछले एक साल से लागत तक नहीं मिल रही है. जबकि कपास की खेती करने वालों को पिछले साल जैसा दाम नहीं मिल रहा है. इससे वे अपनी फसल घरों में स्टॉक कर रहे हैं. ऐसे में किसानों की आय कैसे बढ़ेगी. राजू शेट्टी ने कहा, इसलिए हमने 22 फरवरी को पूरे राज्य में चक्का जाम आंदोलन करने की चेतावनी दी है ताकि सरकार को किसानों की आवाज सुनाई दे.
राज्य में कुछ दिन पहले स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता रविकांत तुपकर ने बुलढाणा जिले में सोयाबीन और कपास की फसल के नुकसान की भरपाई करने की मांग को लेकर आंदोलन किया था. इसके बाद पुलिस ने उन्हें और कई आंदोलनकारियों को हिरासत में लिया था. इसके बाद राजू शेट्टी ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए आंदोलन करने की घोषणा की.
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औरंगाबाद जिले के पैठण तालुका में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन की प्रदेश कार्यकारिणी में शेट्टी ने कहा कि शिंदे-फडणवीस सरकार किसानों के मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रही है. शेट्टी ने कहा कि राज्य में कृषि पंपों की प्रस्तावित बिजली दरों में वृद्धि, गन्ना एफआरपी का बकाया, कपास मक्का, फसल बीमा और भारी बारिश से फसल नुकसान का मुआवजा जैसे मुद्दों पर भी आंदोलन में बात होगी. शेट्टी ने यह भी मांग की है कि बुलढाणा में शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सरकार एक्शन ले.
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किसान नेता राजू शेट्टी ने कहा कि बिजली का बिल बकाया होने के कारण किसानों के टयूबवेल की बिजली काटने का सिलसिला चल रहा है. सरकार इसे तत्काल रोके और कीमत न बढ़ाए. फसल बीमा से जुड़ी समस्याओं का समाधान करे.
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