हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में कभी शुरू किया गया फार्मर्स फर्स्ट प्रोजेक्ट आज कई किसानों के लिए कामयाबी का नाम साबित हुआ है. इसे हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने बैजनाथ इलाके में शुरू किया था. इस प्रोजेक्ट से बैजनाथ और आसपास के इलाकों के सैकड़ों किसानों को फायदा हुआ है. इस प्रोजेक्ट को साल 2017 में इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च यानी कि ICAR ने मंजूरी दी थी. इस प्रोजेक्ट की बदौलत बैजनाथ और पालमपुर के कई किसान बिना सीजन वाले नकदी फसलों से अच्छी कमाई कर रहे हैं.
फार्मर्स फर्स्ट प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल प्रोजेक्ट इनवेस्टिगेटर डॉ. देसराज चौधरी कहते हैं, औसतन प्रति कनाल एक किसान को 10,000 रुपये तक की कमाई हो रही है. तकरीबन 66 फीसद किसान ऐसे हैं जिनकी आमदनी डबल हो गई है. बैजनाथ के किसान एक साथ खेती करते हैं और अपनी उपज को जीप से ले जाकर बाजार में बेचते हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है.
'दि ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट बताती है, फार्मर्स फर्स्ट प्रोजेक्ट के तहत हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने ट्रेनिंग के लिए 500 किसानों का चयन किया था. ये किसान धरेर पंचायत स्थित तारा, धरेर और कंडकोसरी गांव के थे. शुरू में ट्रेनिंग में इन किसानों ने खुद के इस्तेमाल और खाने के लिए मक्का और बाजार की खेती की. लेकिन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इन किसानों को कुछ नई सलाह दी. सलाह में किसानों से कहा गया कि वे बिना सीजन वाले नकदी फसल जैसे मटर, अदरक और मूली की खेती करें. इससे उनकी कमाई बढ़ेगी.
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किसानों ने वैज्ञानिकों की सलाह मानी और यूनिवर्सिटी की सहायता से अधिक उपज देने वाली मूली, मटर, फूलगोभी और मिर्च की किस्में लगाईं. इस तरह पिछले तीन साल से ये किसान लगातार अच्छी कमाई कर रहे हैं. ऑफ सीजन की सब्जियां उगाकर बाजार में बेचने पर इन किसानों को बंपर कमाई हो रही है.
ऐसा पहली बार हुआ है जो किसान अपनी सब्जियों को बैजनाथ और पालमपुर के लोकल मार्केट में बेच रहे हैं. इस इलाके के एक अग्रणी किसान कश्मीर सिंह 'ट्रिब्यून' से कहते हैं कि उन्हें अदरक, मूली और मटर से अच्छी कमाई हो रही है. ऐसा भी होता है कि ऊंची पहाड़ियों पर स्थित उनके खेतों से लोग सब्जियां खरीद लेते हैं. किसान को बाजार तक ले जाने की नौबत नहीं आती. कश्मीर सिंह ने कहा कि इस सीजन में उन्हें मटर से 1.5 लाख रुपये, अदरक से 26,000 रुपये और मूली से 15,000 रुपये की कमाई हुई है. इस तरह कुल कमाई 1.90 लाख रुपये तक पहुंच गई है.
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इसी तरह महिला किसानों में सुमना देवी, नागन देवी, रानी, बीना, पवना देवी और गोल्डी देवी ने बताया कि उन्हें पहली बार इस तरह की नकदी फसलों की खेती की सलाह मिली. इसमें फली और नींबू वर्गीय पौधे शामिल थे. इन फसलों में खादों का वैज्ञानिक तरीके से इस्तेमाल करने की जानकारी मिली. इसके बाद उन्होंने मटर की बंपर पैदावार ली और बाजार में 60 रुपये प्रति किलो तक इसे बेचा. एक छोटे खेत से भी प्रति किसान को 10,000 रुपये तक की कमाई हो रही है. बैजनाथ और पालमपुर के 66 परसेंट किसानों की आय दोगुनी हो गई है. फार्मर्स फर्स्ट प्रोजेक्ट की कामयाबी का ही असर है कि आईसीएआर ने इस प्रोजेक्ट से 100 सक्सेस स्टोरीज का चयन किया है.
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