इस बार महाराष्ट्र में मई के महीने में ही अच्छी बारिश दर्ज की गई थी और ऐसे में उम्मीद की गई थी कि कपास का रकबा हर बार से इस दफा ज्यादा होगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और राज्य में इस बार कपास के रकबे में खासी गिरावट दर्ज की गई है. मई के बाद जून और जुलाई के महीने में करीब 25 दिनों तक बारिश की कमी ने इस पर असर डाला है. एक रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र के अहिल्यानगर में कपास का रकबा पिछले साल के 4 लाख 29 हजार हेक्टेयर से गिरकर इस बार दो लाख 53 हजार हेक्टेयर पर आ गया है. साफ है कि इसमें करीब 50 फीसदी की गिरावट आई है.
महाराष्ट्र के 21 जिलों में कपास की खेती होती है. लातूर को छोड़कर वाशिम, यवतमाल, नागपुर, नागपुर, चंद्रपुर, गढ़चिरौली में ही कपास की खेती का आंकड़ा पिछले साल की तुलना में कुछ ज्यादा हुआ है. जबकि बाकी सभी जिलों में यह औसत से भी कम है. कोल्हापुर में हो इस बार किसानों ने कपास ही नहीं बोई है. इसके अलावा कोंकण में भी कपास की खेती नहीं हुई है. वहीं सांगली, सतारा, धाराशिव, भंडारा और गोंदिया जिले में खेती इस बार बहुत कम हुई है.
पिछले साल भी कपास के उत्पादन में गिरावट आई थी और इसकी कीमतें भी तेजी से गिरी थीं. किसानों को पिछले दो साल से कपास की अच्छी कीमतें नहीं मिल सकी है. पिछले वर्ष कपास की उपज 6 से 7 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर ही बिक सकी. जबकि आमतौर पर यह 10 हजार रुपये बिकती है. इस वजह से किसानों ने इस बार इससे मुंह मोड़ लिया है. उनका कहना है कि बड़ी मेहनत से वो कपास उगाते हैं और अगर उसकी अच्छी कीमतें न मिलें तो फिर क्या फायदा. इस साल बारिश का भी असर पड़ा है. जिस समय बीज बोए जाने थे, उस समय बारिश नहीं हुई और इसने भी खेती को प्रभावित किया.
राज्य में खरीफ का औसत क्षेत्र 144 लाख 36 हजार 54 हेक्टेयर है. अब तक 137 लाख 59 हजार 761 हेक्टेयर में बुवाई पूरी हो चुकी है. राज्य के लिए कपास एक अहम फसल है. इसका औसत क्षेत्र 42 लाख 47 हजार 212 हेक्टेयर है. अब तक इस साल कपास की बुवाई 38 लाख 17 हजार 221 हेक्टेयर पर हुई है. पिछले साल इसी अविध के दौरान 40 लाख 70 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में इसकी बुवाई पूरी हो चुकी थी.
यह भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today