उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए मौसम केंद्र लखनऊ की ओर से कृषि एडवाइजरी जारी की गई है. इसमें प्रमुख तौर पर 7 जिलों को शामिल किया गया है. इन जिलों में इलाहाबाद, बहराइच, जालौन-झांसी, फैजाबाद, कानपुर, मेरठ-पीलीभीत और वाराणसी शामिल हैं. आइए सभी जिलों की एग्रो मेट एडवाइजरी यानी कि मौसम के हिसाब से कृषि सलाह पर गौर कर लेते हैं.
इसमें फतेहपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, चित्रकूट और कौसांबी जिले आते हैं. एडवाइजरी के मुताबिक, खेत में नमी हो तो गेहूं की बुआई कर लें. अगर सिंचाई के साथ या खेत में नमी की मौजूदगी में बुआई करनी है तो यह सही समय है. राई में दूसरी सिंचाई कर दें. मसूर की बुआई करें और इसके लिए 55-75 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज लें. तोरी, पत्तागोभी, टमाटर, फूलगोभी, मटर में हल्का पानी दें. प्याज की रोपाई करें. खेत में नमी हो तो आलू की बुआई करें.
बहराइच में श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज जिले आते हैं. मिट्टी में पर्याप्त नमी हो तो लाइन में गेहूं की बुआई कर दें. सरसों के लिए खेत तैयार करें. ज्वार, मक्का, बाजरा और हरे चारे के लिए बोए गए ग्वार में हल्की सिंचाई करें. आलू की अगेती किस्म के लिए खाद और बीज का इंतजाम कर लें. आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, बेर और पपीते में पानी दें. गाय-भैंसों को चारे के साथ पोषण के लिए दाना भी खिलाएं. उनका वैक्सीनेशन भी जरूरी है.
भरारी नोडल क्षेत्र में जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, बांदा और हमीरपुर जिले आते हैं. गेहूं में पहला पानी दें. पहली सिंचाई के 4-5 दिन बाद खाद डालें. पिछेती गेहूं की बुआई कर लें. सरसों के खेत से खर-पतवार निकाल दें, सिंचाई भी करें. सभी सब्जियों की सिंचाई करें, मटर, चना और मसूर में पानी दें. रबी प्याज की खेती के लिए मौसम सही है. ओएस्टर मशरूम भी उगा सकते हैं. आम, अमरूद, आंवला, नींबू, जामुन, बेर, केला और पपीते को पानी दें.
फैजाबाद में बाराबंकी, सुल्तानपुर, अमेठी, फैजाबाद, बस्ती, रायबरेली, अंबेडकरनगर, संत कबीर नगर, गोरखपुर, देवरिया और बलिया जिले आते हैं.
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रबी फसल जैसे कि चना, मटर और सरसों की बुआई करें, बो लिया है तो हल्की सिंचाई करें. सरसों की बुआई करें और सिंचाई भी करें. प्याज के बिचड़े से खर-पतवार निकाल दें. मिर्च और सब्जियों की फसल पर दीमक लग सकते हैं. एक लीटर पानी में 4 एमएल क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी मिलाकर छिड़काव करें. बैंगन, पत्ता गोभी के बिचड़े लगा दें. लीची, आम, अमरूद, अंगूर, बेर और पपीता लगा दें, फिर सिंचाई करें.
कानपुर नोडल ऑफिस में कन्नौज, हाथरस, मथुरा, आगरा, एटा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, इटावा, ओरैया, कानपुर देहात, कानपुर शहर, उन्नाव, लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, खीरी और कांशीराम नगर जिले आते हैं.
गेहूं बुआई के 20-25 दिनों बाद सिंचाई कर दें. सिंचाई से पहले नाइट्रोजन जरूर छिड़क दें. सरसों बोने के 15-20 दिनों के अंदर बोई गई सरसों से खर-पतवार निकाल दें. बैंगन, भिंडी, पत्ता गोभी, फूल गोभी, टमाटर, मिर्च की फसल से खर-पतवार निकाल दें और सिंचाई करें. आलू, मटर की बुआई करें और सिंचाई भी. प्याज के बिचड़े में डैंपिंग बीमारी लग सकती है. बचाव के लिए थाइरम 2.5 ग्राम या मैकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें. लहसुन, मूली, धनिया, पालक और सोया की बुआई करें. आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, बेर और पपीते की सिंचाई करें.
मोदीपुरम में मेरठ, पीलीभीत, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़, बुलंदशहर, मुरादाबाद, ज्योतिबा फुले नगर, बिजनौर, बदायूं, बरेली, रामपुर, शाहजहांपुर, फर्रूखाबाद, शामली, संभल और हापुड़ जिले आते हैं.
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गेहूं में पहली सिंचाई करें. सिंचाई से पहले नाइट्रोजन डाल दें. सिंचाई कर दिया हो तो 4-6 दिन बाद नाइट्रोजन डालें. सरसों की बुआई 5 हफ्ते बीतने के बाद पहली सिंचाई करें और प्रति हेक्टेयर 75 किलोग्राम नाइट्रोजन छिड़काव करें. गन्ने में 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई और 25-30 के अंतर पर खर-पतवार निकालें. गन्ने को पाले से बचाएं. बैंगन, भिंडी, गोभी, पत्ता गोभी, टमाटर, मिर्च से खर-पतवार निकालें. आलू, मटर की बुआई करें, फिर सिंचाई करें. टमाटर और आलू की बुआई हो गई है तो ब्लाइट बीमारी पर नजर रखें. आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, बेर, पपीते में सिंचाई करें.
वाराणसी में आजमगढ़, गाजीपुर, चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर, संत रविदास नगर, जौनपुर और मऊ जिले आते हैं.
खेत में नमी हो तो गेहूं की एडवांस वेरायटी की बुआई करें. राई सरसों की एडवांस वेरायटी की बुआई के लिए तैयारी शुरू कर दें. प्याज, लहसुन, मटर की बुआई करें, बुआई हो गई है तो खड़ी फसलों से घास निकाल दें. मिर्च, टमाटर, पत्ता गोभी, ब्रोकली के पौधे लगा दें. खेत में अगर पर्याप्त नमी हो तो आलू की बुआई कर दें. अगर कोई फसल पक गई हो तो उसकी कटाई कर लें. आम में कृषि सलाह के आधार पर खाद और कंपोस्ट का इस्तेमाल करें.
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