पूरा उत्तर भारत कड़ाके की ठंड और कोहरे की चपेट में है. जम्मू-कश्मीर की हालत कुछ ज्यादा ही खराब है जहां पारा जमाव बिंदु से नीचे पहुंच गया है. कुछ दिनों से यही स्थिति देखी जा रही है. हालांकि सोमवार को कश्मीर के न्यूनतम तापमान में थोड़ी वृद्धि देखी गई जिससे लोगों को हड्डी कंपाने वाली ठंड से थोड़ी राहत मिली. मौसम विभाग ने जम्मू-कश्मीर में 30 दिसंबर तक बादल छाए रहने और कुछ इलाकों में हल्की से मध्यम दर्जे की बर्फबारी का अनुमान जताया है. इस लिहाज से किसानों को अपनी फसल बचाने और सुरक्षा का पुख्ता बंदोबस्त कर लेना चाहिए.
मौसम विभाग के मुताबिक, कश्मीर घाटी में दिसंबर अंत तक बारिश होने की कोई संभावना नहीं है और मौसम पूरी तरह से शुष्क रहेगा. मौसम विभाग के हवाले से 'PTI' ने रिपोर्ट दी है कि मौजूदा हफ्ते में पूरे राज्य में कहीं-कहीं बारिश की संभावना बन रही है. यहां पारे में लगातार गिरावट देखी जा रही है. रविवार रात में न्यूनतम तापमान में हल्की बढ़त देखी गई. शनिवार रात की तुलना में रविवार को न्यूनतम तापमान में 2-3 डिग्री बढ़ोतरी रही. हालांकि तब भी पारा जमाव बिंदु से नीचे रहा.
जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में ठंड के चलते पानी की सप्लाई पर असर दिखा. पाइप में पानी जमने से सप्लाई बाधित हुई. डल झील का पानी पूरी तरह से जम गया. अधिकारियों ने कहा कि श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से 3.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जो शनिवार रात शून्य से 5.8 डिग्री सेल्सियस अधिक था. पहलगाम, जो वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए बेस कैंप में से एक है, में न्यूनतम तापमान शून्य से 5.7 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जो शून्य से 7 डिग्री सेल्सियस कम था.
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स्की-रिसॉर्ट के मशहूर उत्तर कश्मीर के गुलमर्ग जिले का तापमान माइनस 5 डिग्री दर्ज किया गया. अधिकारियों ने बताया कि बॉर्डर पर स्थित कुपवाड़ा जिले में न्यूनतम तापमान मौसम के सबसे कम तापमान शून्य से 3.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जबकि घाटी के प्रवेश द्वार शहर कहे जाने वाले काजीगुंड में भी मौसम का सबसे कम तापमान शून्य से 4.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. कोकेरनाग में न्यूनतम तापमान शून्य से 2.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया.
MeT कार्यालय ने सोमवार तक जम्मू और कश्मीर में ज्यादातर शुष्क मौसम का अनुमान जताया है, जिसके बाद 30 दिसंबर तक जम्मू-कश्मीर में आमतौर पर बादल छाए रहने की संभावना है. साथ ही ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बर्फबारी की संभावना है. कश्मीर में अभी चिल्ला-ए-कलां चल रहा है जो कि 40 दिन की सबसे सर्द अवधि होती है. इस दौरान पूरे इलाके में कड़ाके की ठंड पड़ती है और तापमान जमाव बिंदु तक या उससे नीचे चला जाता है. इससे नदी, तालाब, झील आदि का पानी सूख जाता है. यहां तक कि पाइप में पानी भी जम जाता है. इस अवधि में बर्फबारी आम बात हो जाती है.
रबी फसलों में ठंड के दौरान खेतों में पानी नहीं लगने दें. इसके लिए जल निकासी का पूरा बंदोबस्त रखना चाहिए. चारागाह या गौचर क्षेत्रों में भी पानी जमने से बचाना चाहिए. केसर का सीजन चल रहा है जिसका खास ध्यान रखने की जरूरत है. केसर के खेत में नाइट्रोजन डालें जिसके लिए प्रति कनाल 2.50 किलो यूरिया डाल सकते हैं. केसर के खेत से खर-पतवार निकाल दें. केसर को चूहों से बचाना जरूरी है जिसके लिए 5-10 ग्राम एल्युमिनियम फॉस्फाइड पाउच का इस्तेमाल करें.
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जहां चूहों का बिल या मांद दिखे, उसमें फॉस्फाइड का पाउच रख दें. ध्यान रखें कि पाउच वहीं रखना है जहां थोड़ी नमी हो. ठंड के दिनों में केसर के खेत में पानी नहीं लगना चाहिए. इसलिए जल निकासी का पूरा उपाय करें.
अभी जम्मू-कश्मीर में सेब का सीजन चल रहा है. अगर पौधे का भार ज्यादा हो तो उसे सपोर्ट जरूर दें. अगर फल के चलते पौधे झुर रहे हों तो ऊपर से उसकी छंटाई कर दें ताकि वजन कुछ घट जाए. सब्जियों के खेत में भी पानी नहीं लगने दें. ठंड से मवेशियों को बचाना भी बहुत जरूरी है. बाड़े में गर्मी का इंतजाम करें. दाने में सोडियम, पोटैसियम और मैग्नेसियम की मात्रा पूरी बनाए रखें.
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