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कौन करेगा गेहूं के इस नुकसान की भरपाई, सरकार से पूछ रहे अंबाला के किसान

कौन करेगा गेहूं के इस नुकसान की भरपाई, सरकार से पूछ रहे अंबाला के किसान

10-15 दिन बाद गेहूं कटने के बाद मंडी में पहुंचने वाला था. लेकिन उससे पहले ही बारिश ने सबकुछ चौपट कर दिया. अब कंबाइन मशीन भी इन फसलों को नहीं काट सकती क्योंकि फसल के साथ मिट्टी उठने का भी खतरा रहेगा. इससे किसानों की टेंशन और भी ज्यादा बढ़ गई है.

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अंबाला में बारिश के बाद खेतों में लगा पानी अंबाला में बारिश के बाद खेतों में लगा पानी

उत्तर भारत में तीन दिनों से लगातार हो रही बरसात ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है. इसी में हरियाणा का अंबाला भी है जहां गेहूं की बड़े पैमाने पर खेती होती है. यहां रुक-रुक कर हो रही बरसात ने खेतों में खड़ी गेहूं की फसल को बर्बाद कर दिया है. खेतों में गेहूं की फसल बस पकने ही वाली है और 15 दिनों में इसे लेकर किसान मंडी में पहुंचने वाले थे. लेकिन हालिया बारिश ने किसानों के सभी अरमानों पर पानी फेर दिया. मायूस किसान अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि वे पिछले दो साल से फसल का नुकसान झेल रहे हैं. सरकार की ओर से भी किसानों को कोई मुआवजा नहीं मिल रहा है. तो आखिर वे कहां जाएं.

खेतों में खड़ी फसल को किसान काटने की तैयारी में थे. तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थीं. लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था. अब हाथों से कटाई कम होती है. लिहाजा, कंबाइन मशीन कटाई के लिए खेतों में तैयार खड़ी थी. मगर अचानक आसमान से आई आफत ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया. बरसात और तेज हवाओं ने गेहूं की फसल को खेतों में बिछा दिया. जो गेहूं 15 दिनों बाद मंडी में आने वाला था, वह अब बर्बादी की कगार पर है. किसान करे भी तो क्या. उसकी किस्मत में केवल मायूसी आई है.

किसान को पता है कि इस बारिश से उसके गेहूं के दाने काले पड़ जाएंगे. यहां तक कि उत्पादन भी कम होगा. अब इसी चिंता में किसान गला जा रहा है. बरसात से उसकी हज़ारों एकड़ की फसल प्रभावित हो गई है. आंधी जैसी तेज़ हवाओं के कारण खेतों में फसल लगभग बिछ गई है. किसानों का कहना है कि उनकी गेहूं की फसल लगभग पक गई थी और 10 दिनों में मंडी में आ जानी थी. अब वह फसल पूरी तरह से खराब हो गई है. 

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किसानों का कहना है कि आजकल मंडी में सरसों की फसल आ रही है. हालिया बरसात से उसका भी नुकसान होगा. किसानों की मानें तो इस बरसात से 99 फीसद तक गेहूं ख़त्म हो गया है. सरसों पर भी यह मार तगड़ी है. सरसों की वैसी फसल ज्यादा प्रभावित हुई है जिसे काटकर खेत में ही सूखने के लिए छोड़ा गया था. इस साल लगातार दूसरी बार है जब सरसों और गेहूं पर मौसम की मार पड़ी है. पिछले साल तापमान बढ़ने से उत्पादन घट गया था. इस बार बारिश ने मामला बिगाड़ दिया. 

ऐसे में जिन किसानों ने खेती के लिए आढ़तियों से कर्ज लिया है, वे अब माथा पकड़ कर बैठ गए हैं. उनकी सरकारी मदद पर टकटकी लगी है. किसानों का कहना है जो फसल बारिश के बाद खेतों में बिछ गई है, उसे कंबाइन मशीन नहीं उठा पाएगी क्योंकि साथ में मिट्टी भी मशीन में आ जाएगी. इसलिए बिछी हुई फसल बिल्कुल ही ख़राब हो गई है. किसान अब सरकार से मांग कर रहे हैं कि दो साल के लगातार नुकसान को देखते हुए उन्हें मुआवजा दिया जाए जिससे उनकी कुछ भरपाई हो. उनका कहना है कि अभी तक उन्हें पहले हुए नुकसान का भी मुआवजा नहीं मिला है.

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सरकार ने फसली नुकसान की भरपाई के लिए फसल बीमा योजना शुरू की है. इसमें कम पैसे में फसल का मुआवजा देने का प्रावधान है. लेकिन किसानों की मानें तो उन्हें फसल बीमा का सही और उचित लाभ नहीं मिल रहा है. इसी वजह से कई किसानों ने इस साल बीमा नहीं कराया. ऐसे किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है.(रिपोर्ट/कमलप्रीत सभरवाल)