हरियाणा में इन इस बाजरा के किसान परेशान है और विरोध के मूड में हैं. यहां के पटौदी अनाज मंडी में जब किसान अपनी उपज लेकर आए तो उनसे उनकी उपज की खरीद नहीं की गई. इसके कारण मंडी में आज जबरदस्त हंगामा भी हुआ और सैकंड़ों किसानों ने कथित तौर पर बाजरे की खरीद नहीं होने का विरोध किया. यहां पर हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति एवं विपणन संघ लिमिटेड की तरफ से बाजरे की खरीद की जाती है. मंडी में 25 सिंतबर से ही बाजरा आ चुका था,पर राज्य सहकारी आपूर्ति एवं विपणन संघ लिमिटेड की तरफ से गुणवत्ता का हवाला देते हुए 70 फीसदी बाजरा की खरीद नहीं की गई.
इनता ही नहीं जिस अनाज की खरीद अब तक नहीं हुई है वह मंडी में पड़ा हुआ है इसके कारण स्थानीय प्रशासन ने अधिकारियों को बैकलॉग को साफ करने में मदद करने के लिए 29 सिंतबर को किसानों की अपज को बाजार में लाने से ही मना कर दिया है. बताया जा रहा है कि एक लाख क्विंटल उपज मंडी में आ चुका है पर हेफेड की तरफ से अब तक मात्र 30,000 क्विंटल बाजरे की ही खरीदारी की गई है. खरीद करने वाली टीम ने बाजरे में कथित तौर पर मिलावट होने का दावा करते हुए 70 हजार क्विंटल बाजरे को खरीदने से इनकार कर दिया है. टीम का कहना है कि बाजरे को ठीक से छाना नहीं गया है.
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अपनी उपज की खरीद नहीं होने के कारण किसान आक्रोशित हो गए और अधिकारियों पर अनाज नहीं खरीदने के लिए बहाना बनाने का आरोप लगाते हुए पटौदी रोड को जाम कर दिया. इसके बाद जब स्थिति नियंत्रण से बाहर हुई तब जाकर डीसी निशांत यादव पटौदी रोड पर पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे किसानों को शांत कराया. साथ ही कहा कि किसानों की समस्या का समाधान 24 घंटे के अंदर हो जाएगा. इस पूरे मामले पर हेफेड का कहना है कि किसान जो बाजरा लेकर आये हैं वह ठीक से छाना नहीं गया है. जबकि किसान इस बार पर जोर देते हैं कि उनकी उपज की गुणवत्ता अच्छी हो. द् ट्रिब्यून के मुताबिक हेफेड ने बताया कि बाजरा खरीद टीमों की संख्या बढ़ाकर एक से तीन कर दी गई है. 29 सिंतबर को बाजरा नहीं लेने के पीछे हेफेड ने कहा कि पिछला बैकलॉग क्लियर करने के लिए यह कदम उठाया गया है.
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इस साल यहां की अनाज मंडी को उम्मीद की बाजरे की पैदावार तीन लाख टन तक होगी. इसलिए किसान भी धीमी गति हो रही खरीद का विरोध कर रहे हैं. किसान जय यादव ने कहा कि हेफेड ने बाजरा खरीद को मजाक बना दिया है. किसान प्राइवेट में अपने बाजरे को बेच नहीं सकते हैं और हेफेड वाले बिना कोई ठोस कारण के उपजा खरीदने से इनकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर अनजा को चार दिनों तक खुले में छोड़ दिया जाए तो उसमें धूल के कण और गंदगी तो जमा हो ही जाएं. इसके साथ ही किसान ने सरकार का वादा याद दिलाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने 100 फीसदी खरीद का वादा किया है.
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