पशुपालन में दिलचस्पी रखने वाले लोग भैंस पालना पसंद करते हैं. भैंस पाल कर आप दूध का व्यापार भी कर सकते हैं और अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. हालांकि भैंस पालना इतना आसान नहीं है. गांव में तो ये भी कहावत है कि 'भैंस पालने के लिए भैंस बनना पड़ता है' कहना का मतलब है कि इसे पालने के लिए भैंस जितनी मेहनत भी करनी होती है. इसका कारण है कि भैंस पालन, गाय या अन्य पालतू पशुओं के मुकाबले थोड़ा कठिन है. इनका खान-पान और रखरखाव काफी अलग होता है. भैंस पालने वाले जानते हैं कि भैंसों को कीचड़ में रहना अधिक पसंद होता है. आप उसे कितना भी नहला-धुला दो लेकिन वो हमेशा कीचड़ में ही भागती हैं, आइए जान लेते हैं कि ऐसा क्यों होता है.
भैंस पालने वाले जानते है कि भैंसों में एक अजीब सी स्मेल आती रहती है इसके लिए साफ-सफाई बहुत जरूरी है. इसके लिए लोग अक्सर भैंसों को नहलाते हैं. नदी और तालाब से भैंसों की विशेष दोस्ती होती है जहां वो घंटों तक तैरती रहती हैं और आसानी से बाहर नहीं निकलती हैं. इसके अलावा अगर कीचड़ दिख गया तो समझिए भैंसों की मौज हो गई. नहाने-धोने के बाद भी जाकर कीचड़ में लोट जाती हैं और घंटों तक बाहर आने का नाम नहीं लेती हैं.
कीचड़ की तरफ जाने की वजह है उनकी चमड़ी, आप जानते हैं कि भैंसों की चमड़ी मोटी और काली होती है. उनकी चमड़ी काली होने की वजह से ये गर्मी को अवशोषित कर लेती है. इसके अलावा भैंसों में पसीने की ग्रंथियां कम होती हैं, इसलिए वे अपने शरीर के बढ़ते तापमान से बहुत परेशान रहती हैं.
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कीचड़ ठंडा होता है और अपने शरीर में लगाने से उन्हें गर्मी से राहत मिलती है. इसके अलावा भैंसों के ऊपर कीचड़ लग रहने की वजह से मच्छर, मक्खी और कीट भी नहीं लगते हैं.
अधिकांश लोग जानना चाहते हैं कि जब उन्हें नदी या तालाब में नहला देते हैं तो उन्हें गर्मी से छुटकारा मिल जाता है, फिर उसके बाद भी क्यों कीचड़ में चली जाती हैं. आपको बता दें कि कीचड़ में धूप और ताप का प्रभाव पानी के मुकाबले बेहद कम होता है. कीचड़ लगा लेने की वजह से भैंसों के शरीर में देर तक ठंडक बनी रहती है इसलिए वे पानी की बजाय कीचड़ की तरफ अधिक भागती है.
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