मॉनसून आते ही देश में खरीफ फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है. किसान फावड़ा और गैंती लेकर खेतों की मेड़ बांधना शुरू कर देते हैं ताकि उनमें पानी भर जाए और धान की बुवाई आसान हो जाए. खरीफ की सबसे खास फसल धान को ही माना जाता है, कई राज्यों में धान की खूब खेती होती है. लेकिन कई बार धान कि खेती से मनमुताबिक लाभ नहीं मिलता, इसलिए इस खबर में आपको धान के अलावा 4 ऐसी फसलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे उगा कर आप कम समय में अच्छी कमाई कर पाएंगे. फसलों का नाम बताने के अलावा इनकी खेती का सही तरीका भी बताएंगे ताकि देश के किसान बिना किसी गलती के इस सीजन का लाभ उठा सकें.
खरीफ सीजन में खेती करने वाले किसानों को धान के अलावा दलहन-तिलहन फसलों की ओर बढ़ना चाहिए. इन फसलों को उगाना धान के मुकाबले आसान भी है और इससे अच्छी कमाई भी होती है. आइए जानें
तिल खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली सबसे खास फसलों में से एक है. ये एक तिलहन फसल है जिसकी खेती समतल और कम पानी वाले खेत में जाती है. मतलब तिल की खेती ऐसी जगह पर करें जहां बारिश का जल ना रुकता हो. तिल की खेती के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी उपयुक्त है. इसकी फसल तैयार होने में औसतन 90 दिन का समय लगता है.
सोयाबीन को दलहन और तिलहन दोनों रूप में उपयोग किया जाता है. इसके अलावा इसके कई हेल्थ बेनिफिट्स होने के कारण इसकी बाजार मांग और कीमत बहुत ज्यादा होती है. सोयाबीन की खेती के लिए भी खरीफ सीजन अच्छा माना जाता है. इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए. इस फसल को तैयार होने का औसत समय 100 दिन होता है.
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दालों में खास मूंग की खेती खरीफ सीजन में खूब की जाती है. मूंग की खेती कमाई के लिहाज से भी अच्छी मानी जाती है. इसकी खेती मटियार और बलुई दोमट मिट्टी के साथ अन्य मिट्टिओं में भी हो सकती है लेकिन उसकी जलधारण क्षमता अच्छी होनी चाहिए. अन्य दलहन फसलों के मुकाबले मूंग की फसल जल्दी तैयार होने के लिए जानी जाती है. इसकी कुछ किस्में 50-55 दिन में ही तैयार हो जाती हैं.
दालों में सबसे खास मानी जाने वाली अरहर की खेती के लिए भी खरीफ का सीजन अच्छा माना जाता है. खरीफ सीजन में अरहर की बुवाई के लिए ऐसा खेत चुनें जहां जलजमाव ना होता हो. मिट्टी का पीएच मान 7.0-8.5 के बीच होना चाहिए. इसकी खेती कई तरह की मिट्टियों में की जा सकती है लेकिन बलुई दोमट या दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. हालांकि अरहर की फसल को तैयार होने में बहुत अधिक समय लगता है. 160 दिन या उससे भी अधिक दिनों का समय लग सकता है.
खेती करने वाले किसानों को अच्छी तरह से पता होता है कि फसल कब तैयार होती है. नए किसानों को बता दें कि जब पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगे तो उन पर लगी फलियों से दाने निकाल कर देखें. अगर दाने मैच्योर लगें तो समझ लीजिए कि फसल तैयार हो गई है और कटाई के लिए तैयार हो चुकी है.
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