मध्यप्रदेश सरकार मत्स्य पालकों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और मत्स्य पालन को एक उद्योग के रूप में विकसित करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य में मछुआ समुदाय के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं और योजनाएं शुरू की गई हैं. आइए जानते हैं इन योजनाओं के बारे में सरल भाषा में.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि अब मत्स्य पालन को उद्योग का दर्जा दिया जाएगा. इसका मतलब है कि जैसे अन्य उद्योगों को सरकारी सुविधाएं मिलती हैं, वैसे ही अब मछली पालन करने वालों को भी मिलेगी. इससे निवेश बढ़ेगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और मछुआरों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी.
भोपाल में 40 करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक एक्वा पार्क (मछलीघर) का निर्माण किया जा रहा है. 217 करोड़ रुपये से आधुनिक मछली बीज हैचरी बनाई जाएगी, जिससे अब बंगाल से मछली बीज मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह सभी योजनाएं मछली उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करेंगी और प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाएंगी.
मुख्यमंत्री ने 92 करोड़ रुपये की लागत से इंदिरा सागर बांध में 3360 केज परियोजना का वर्चुअल भूमि पूजन किया. इसके जरिए बड़े पैमाने पर मछली पालन संभव होगा और हजारों मछुआरों को रोजगार मिलेगा.
राज्य सरकार ने 22.65 करोड़ रुपये की लागत से 453 स्मार्ट फिश पार्लर की शुरुआत की है, जिससे मछली बेचने का काम आधुनिक और व्यवस्थित तरीके से किया जा सकेगा. इसके साथ ही मछुआरों को 430 मोटरसाइकिलें बांटी गई हैं, जिनमें आईस बॉक्स लगे हैं. इससे वे ताजा मछली जल्दी और दूर तक पहुंचा सकेंगे.
प्रदेश में लगभग 2 लाख से अधिक मत्स्य पालक पंजीकृत हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं. राज्य सरकार महिलाओं को इस क्षेत्र में आगे लाने के लिए विशेष प्रयास कर रही है. इसके अलावा, मछली पालन में आधुनिक मशीनों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया जा रहा है.
सरकार ने प्रदेश में सिंचाई के क्षेत्र को भी बढ़ाया है, जिससे मछुआरों को फायदा हो रहा है. पहले जहां 7 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी, अब यह 55 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. पीकेसी (पार्वती-कालीसिंध-चंबल) परियोजना से यह रकबा 100 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे और अधिक जलाशयों में मछली पालन संभव होगा.
प्रदेश सरकार मछुआ क्रेडिट कार्ड बांट रही है, जिससे मछुआरे व्यापार के लिए ऋण ले सकें. इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा मछुआ कल्याण बोर्ड के माध्यम से अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं. उज्जैन में आयोजित राज्य स्तरीय निषादराज सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने मछुआ समुदाय की भूमिका की सराहना की. उन्होंने कहा कि महाराज निषादराज ने सबसे पहले भगवान श्रीराम की प्रभुता को पहचाना था, और मछुआरे आज भी समाज की सेवा में जुटे हैं.
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सरकार 2028 तक मछुआ समुदाय को मुख्यधारा में लाने के लिए कई और योजनाएं शुरू करेगी. नशा मुक्ति और फिजूलखर्ची से बचने का संकल्प भी दिलाया गया. मध्यप्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि राज्य को देश में मछली उत्पादन में नंबर वन बनाया जाए. इसके लिए राज्य सरकार लगातार नई योजनाएं लागू कर रही है और मछुआरों को हर संभव सहायता दे रही है. आने वाले समय में मत्स्य पालन एक समृद्ध और आधुनिक उद्योग बनकर उभरेगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today