किसान दें ध्यान, बकरी पालन के हैं पूरे 14 फायदे:- पढ़ें लिस्ट किसान दें ध्यान, बकरी पालन के हैं पूरे 14 फायदे:- पढ़ें लिस्ट
अगर बकरी पालन के पुराने तौर-तरीकों को छोड़कर साइंटिफिक पैटर्न पर और वैज्ञानिकों की सलाह से बकरी पालन किया जाए तो इसमे जोखिम न के बराबर रह जाता है. केन्द्र सरकार की मदद से देशभर में बकरी पालन की ट्रेनिंग देने वाले आधुनिक सेंटर चल रहे हैं.
मथुरा के एक गोट फार्म में अठखेलियां करता बकरी का बच्चा. नासिर हुसैन - Noida ,
- Dec 06, 2022,
- Updated Dec 06, 2022, 12:38 PM IST
बकरी को पहले गरीबों की गाय बोला जाता था. लेकिन, बकरी अब सिर्फ दो जून की रोटी के लिए ही नहीं पाली जाती है. बकरी पालन अब बड़ा आर्थिक लाभ और दूसरों को नौकरियां देने वाला कारोबार बन चुका है. बकरी का दूध एक्सपोर्ट करने के मामले में भारत आज भी दुनियां में पहले स्थान पर है. मीट भी खूब एक्सपोर्ट हो रहा है. देश में भी बकरे-बकरियों की खूब डिमांड है. खासतौर पर दुर्गा पूजा और बकरीद के मौके पर बकरों के मुंह मांगे दाम मिलते हैं.
गाय-भैंस और पोल्ट्री के मुकाबले बकरी पालन बड़े फायदे का सौदा है. अगर बकरी पालन के पुराने तौर-तरीकों को छोड़कर साइंटिफिक पैटर्न पर और वैज्ञानिकों की सलाह से बकरी पालन किया जाए तो इसमे जोखिम न के बराबर रह जाता है. केन्द्र सरकार की मदद से देशभर में बकरी पालन की ट्रेनिंग देने वाले आधुनिक सेंटर चल रहे हैं.
14 पाइंट में जानें कैसे फायदे का सौदा है बकरी पालन
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा के मुताबकि गाय-भैंस और पोलट्री-सूकर के मुकाबले बकरी पालन आसान और सस्ता तरीका है. जरूरत बस वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने की है. साथ ही बकरी पालक को अपनी बकरियों की तंदरुस्ती के लिए अलर्ट पर रहते हुए हर वक्त उनकी निगरानी करनी होगी. बकरी पालन की इकलौती और बड़ी कमी बस यही है कि गाय-भैंस के दूध के मुकाबले लोग स्मेल के चलते जल्दी इसके दूध को नहीं पीते हैं.
- बकरी पालन पोल्ट्री और सूअर पालन के मुकाबले कम पैसों में शुरू किया जा सकता है.
- गाय-भैंस के 100 रुपये के मुकाबले बकरे-बकरी का चारा 20 रुपये का पड़ता है.
- बकरी का चारा पोल्ट्री के दाने जैसा इंसानी खानपान से मिलता-जुलता नहीं है, इसलिए यह सस्ता पड़ता है.
- बकरी एक ऐसा जानवर है जो दो से तीन और कभी-कभी चार बच्चे तक देती है.
- बकरे-बकरी में गाय, सूअर और पोल्ट्री के मुकाबले बीमारी कम लगती हैं. इसलिए इलाज का खर्च भी कम आता है.
- बकरी का दूध मेडिशनल और जल्दी हजम होने वाला होता है.
- बकरी की खाल के लैदर का मूल्य ज्यादा होता है. ब्लैक बंगाल बकरी के लैदर की बहुत डिमांड रहती है.
- बकरे का मीट बहुत स्वादिष्ट, गुणवत्ता वाला और हैल्दी होता है.
- बकरी के पश्मीना के इंटरनेशनल मार्केट में बहुत डिमांड रहती है.
- बकरी की मेंगनी और उसका यूरिन मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाने में बहुत मूल्यवान होता है.
- पोल्ट्री और डेयरी की तरह से बकरी के लिए उसका बाड़ा बनाने में कोई तामझाम नहीं करना होता है.
- बकरियां आसानी से मिल जाती हैं और हर तरह की कृषि वाले वातावरण में अपने को ढाल लेती हैं.
- कारोबार के लिहाज बकरी पालन एक अच्छा क्षेत्र है. इसमे दूसरों को नौकरी देने के साथ ही खुद भी मोटी इनकम कर सकते हैं.
- एक बकरी तीन तरह से फायदा देती है. पहले दूध, फिर मीट और उसके बाद लैदर के लिए खाल.
अरब तक है यूपी के बरबरे बकरे की डिमांड
देश में बकरियों की करीब 37 नस्ल पाई जाती हैं. इसमे से कुछ सिर्फ दूध के लिए पाली जाती हैं तो कुछ दूध और मीट दोनों के लिए पाले जाते हैं. यूपी की खास नस्ल बरबरी है. इसी नस्ल के बकरे को बरबरा बकरा कहा जाता है. इसकी देश के अलावा अरब देशों में भी खासी डिमांड रहती है. इसके अलावा बंगाल का ब्लैक बंगाल, पंजाब का बीटल बकरा भी डिमांड में रहता है. इसके अलावा और भी नस्ल हैं जो मीट के लिए पाली जाती हैं.