जैसा इस खास नस्ल की बकरी का नाम सोनपरी है, वैसी ही इसकी खासियत भी हैं. मीट और एक बार में चार बच्चे तक देने के चलते सोनपरी नस्ल की खासी डिमांड है. लेकिन सोनपरी बीते कई महीने से रजिस्ट्रेशन नंबर के इंतजार में है. हाल ही में साल 2023 की पशु-पक्षियों के रजिस्ट्रेशन की लिस्ट जारी हो चुकी है. लेकिन उस लिस्ट में सोनपरी का नंबर नहीं आया है. सोनपरी की जगह कुछ-कुछ सोनपरी की तरह दिखने वाली अंजोरी बकरी को रजिस्टर्ड किया गया है. अंजोरी छत्तीतसगढ़ की नस्ल है. वहीं सोनपरी सोनभद्र, वाराणसी, मिर्जापुर, यूपी के अलावा झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी पाली जाती है. जानकारों की मानें तो ऐसी उम्मीद की जा रही है कि साल 2024 की लिस्ट में सोनपरी को शामिल किया जा सकता है.
सोनपरी नस्ल के बकरे-बकरी बैरारी और ब्लैक बंगाल की मिक्स नस्ल है. यही वजह इसे मीट के लिए खास बनाती है. हालांकि वजन में सोनपरी नस्ल के बकरे 24 से 28 किलो के होते हैं. लेकिन दूसरे बकरों के मुकाबले इनका मीट महंगे दाम पर बिकता है. देशभर में बकरे-बकरियों की 37 नस्ल पाली जाती हैं. किसी खास नस्ल को दूध के लिए पाला जाता है तो किसी को मीट के लिए. कुछ ऐसी भी होती हैं जिन्हें दूध-मीट दोनों के लिए पाला जाता है. मौसम और वातावरण के हिसाब से भी राज्यावार बकरियों का पालन किया जाता है.
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सीआईआरजी की सीनियर साइंटिस्ट डॉ. चेतना गंगवार ने किसान तक को बताया कि काफी साल पहले सोनभद्र और मिर्जापुर के इलाकों में किसानों की मदद के लिए और उनकी गरीबी दूर करने के लिए बैरारी नस्ल की बकरी उनके बीच बांटी गईं थी. इसे पालकर वो इसके दूध से बच्चों का पालन-पोषण करते थे. लेकिन बीते कुछ वक्त से इन्हीं किसानों ने बैरारी बकरी और ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरे को क्रास कराकर एक नई नस्ल तैयार कर दी. गौरतलब रहे कि ब्लैक बंगाल पश्चिम बंगाल की नस्ल है. लेकिन इसका पालन सोनभद्र, वाराणसी, मिर्जापुर, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी किया जाता है. इसी के चलते किसानों ने ये नया प्रयोग किया. ब्लैंक बंगाल नस्ल खासतौर से मीट के लिए अपनी पहचान रखती है.
डॉ. चेतना गंगवार ने बताया कि सोनपरी बकरी की एक सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये 22 फीसद केस में चार बच्चे तक देती है. सामान्य तौर पर ये दो और तीन बच्चे देती है. जबकि दूसरी नस्ल की बकरियां कुछ खास केस में ही तीन बच्चे तक देती हैं. बकरी पालकों के बीच इसे पसंद किए जाने की एक और बड़ी वजह ये है कि इस नस्ल में रोगों से लड़ने की क्षमता दूसरों के मुकाबले बहुत ज्यादा है. क्योंकि सोनपरी नस्ल में ब्लैक बंगाल का अंश है तो इसके मीट का टेस्ट भी अलग है. इसे मीट के लिए कितना पसंद किया जाता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दूसरे बकरों के मुकाबले इसका मीट 200 रुपये किलो महंगा बिकता है. इस नस्ल के एक से डेढ़ साल की उम्र के बकरे का वजन 24 से 28 किलो तक जाता है.
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डॉ. चेतना गंगवार ने किसान तक को बताया कि अगर आप बाजार में सोनपरी नस्ल के बकरे-बकरी खरीदने जा रहे हैं तो इनकी पहचान बहुत ही आसान है. ये दिखने में डार्क ब्राउन कलर के होते हैं. इनकी पीठ यानि रीढ़ की हड्डी पर गर्दन से लेकर पूंछ तक काले रंग के उभरे हुए बाल होते हैं. इतना ही नहीं गले पर काले उभरे हुए बालों की रिंग (गोला) होती है. सींग नुकीले पीछे की ओर होते हैं. ये मध्यम आकार की बकरी है. पूंछ के पास थाई पर भी ब्राउन और ब्लैक कलर के उभरे हुए बाल होते हैं.
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