Zoonotic Disease: पशुओं से इंसानों को होने वाली बीमारियों को रोकने पर चल रहा काम, संसद में दी जानकारी Zoonotic Disease: पशुओं से इंसानों को होने वाली बीमारियों को रोकने पर चल रहा काम, संसद में दी जानकारी
Zoonotic Disease and NOHM देश में अप्रैल, 2023 से ही NOHM की शुरुआत कर दी गई थी. केन्द्रीय पशुपालन मंत्रालय की मानें तो 75 फीसद बीमारी ऐसी हैं जिनका कारण पशु हैं. ये वो बीमारियां हैं जो पशु-पक्षियों से इंसानों में होती हैं. इन्हें जूनोटिक यानि जूनोसिस बीमारी भी कहा जाता है. साल 2020 में आई कोरोना भी ऐसी ही एक बीमारी थी.
गर्मी में पशुओं का कैसे रखें खयालनासिर हुसैन - New Delhi,
- Aug 07, 2025,
- Updated Aug 07, 2025, 8:45 AM IST
Zoonotic Disease and NOHM कोविड, इबोला, जीका वायरस, रैबीज और एवियन इंफ्लूंजा जैसी बीमारियां पशु-पक्षियों के जरिए इंसानों में फैल रही हैं. ऐसी ही बीमारियों पर रोकथाम लगाने के लिए तेजी से काम चल रहा है. इन बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए ही नेशनल वन हैल्थ मिशन (NOHM) शुरू किया गया है. योजना के तहत ऐसी बीमारियों पर तीन लेवल से वार किया जा रहा है. ये जानकारी आज संसद में एक सवाल के जवाब में केन्द्र सरकार की ओर से दी गई है. संसद में ये भी जानकारी दी गई है कि जी-20 महामारी कोष से भारत को मिले 2.5 करोड़ डालर करीब 200 करोड़ रुपये इस योजना पर खर्च हो रहे हैं.
क्यों शुरू किया गया है NOHM?
- कोविड, स्वाइन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा आदि की रोकथाम के लिए.
- ये सभी बीमारियां पशु-पक्षियों से इंसानों में आई हैं.
- एक रिपोर्ट के मुताबिक 17 लाख वायरस जंगल में फैले होते हैं.
- इसमे से बहुत सारे ऐसे हैं जो जूनोटिक हैं.
- जूनोटिक वो होते हैं जो पशु-पक्षियों से इंसान में फैलते हैं.
- जूनोटिक के ही दुनिया में हर साल 100 करोड़ केस आते हैं.
- 100 करोड़ केस में से 10 लाख की मौत हो जाती है.
- वर्ल्ड लेवल पर इस पर काबू पाने की कवायद शुरू हो गई है.
- भारत में भी NOHM के नाम से अभियान शुरू कर दिया गया है.
- शुरुआती दौर में यह पांच राज्यों से शुरू किया गया था.
- अब जी-20 महामारी कोष से बजट मिलने के बाद देशभर में चलाया जा रहा है.
देश में कैसे काम कर रहा है NOHM?
- मंत्रालय के मुताबिक NOHM के तहत सात बड़े काम किए जा रहे हैं.
- नेशनल और स्टेट लेवल पर महामारी की जांच को संयुक्त टीम बनाई गई है.
- महामारी फैलने पर संयुक्तं टीम रेस्पांस करेगी.
- एनएलएम की तरह से सभी पशुओं के रोग की निगरानी का सिस्टम तैयार किया गया है.
- मिशन के रेग्यूलेटरी सिस्टम को मजबूत बनाने पर काम हो रहा है.
- महामारी फैलने से पहले लोगों को चेतावनी देने के लिए सिस्टम बनाने पर काम हो रहा है.
- नेशनल डिजास्टर मैंनेजमेंट अथॉरिटी के साथ मिलकर जल्द से जल्द महामारी की गंभीरता कम करना.
- प्राथमिक रोगों के टीके और उसका इलाज विकसित करने के लिए तय अनुसंधान कर टीके तैयार करना.
- रोग का पता लगाने के तय समय और संवेदनशीलता में सुधार किया जाएगा.
- इसके लिए जीनोमिक और पर्यावरण निगरानी फार्मूले तैयार करने पर काम हो रहा है.
निष्कर्ष-
जूनोटिक यानि जूनोसिस बीमारियों को रोकने का एक उपाय बायो सिक्योरिटी भी है. इसलिए सिर्फ पोल्ट्री फार्म ही नहीं डेयरी और गोट-शीप फार्म में भी बायो सिक्योरिटी का पालन करें. ऐसा करने से फार्म में बीमारी कंट्रोल रहती हैं. जल्दी बीमारी फार्म के पशु और पक्षियों में नहीं फैलती है.
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