Sheep and Goat: भेड़-बकरियों को फड़किया बीमारी से बचाने के लिए करें ये काम, नहीं तो हो सकती है मौत Sheep and Goat: भेड़-बकरियों को फड़किया बीमारी से बचाने के लिए करें ये काम, नहीं तो हो सकती है मौत
Sheep and Goat Disease पशुओं की बीमारी पर काम करने वाले निवेदी संस्थान ने हाल ही में एक अलर्ट जारी किया है. संस्थान के मुताबिक अगस्त-सितम्बर में एंटरोटॉक्सिमिया (फड़किया) नाम का बैक्टीरिया भेड़-बकरियों पर अटैक कर सकता है. इसे देखते हुए संस्थान ने अटैक का अलर्ट जारी किया है. वहीं पशुपाकों के लिए सलाह है कि वो अपने पशुओं को ज्यादा बरसाती हरा चारा न खिलाएं.
भेड़-बकरियों में तेजी से फैलती है पीपीआर और शीप पॉक्स बीमारी.नासिर हुसैन - New Delhi,
- Aug 07, 2025,
- Updated Aug 07, 2025, 8:50 AM IST
Sheep and Goat Disease बरसात का मौसम पशुपालकों के लिए फायदे से ज्यादा नुकसानदायक होता है. इस दौरान पशुओं को बीमारियां बहुत होती हैं. पशुओं के लिए खाने को हरा चारा बहुत होता है, लेकिन ये पशुओं को खिलाया नहीं जा सकता है. क्योंकि ज्यादा खाने के चलते ही खासतौर से भेड़-बकरियों को फड़किया नाम की जानलेवा बीमारी घेर लेती है. ये बीमारी अक्सर किसी भी तरह का चारा ज्यादा खाने के चलते होती है. डॉक्टर इस बीमारी का नाम एंटरोटॉक्सिमिया बताते हैं. ये बैक्टीरिया पशु की आंत में पनपता है.
फड़किया बीमारी के लक्षण क्या हैं?
- भेड़-बकरी में फड़किया बीमारी की शुरआत दस्त से होती है.
- फिर अचानक से एक दम दस्त बंद हो जाते हैं.
- दस्त बंद हो जाने के दो दिन बाद भेड़-बकरी में कमजोरी आ जाती है.
- भेड़5बकरी ठीक से चल नहीं पाती हैं.
- चलने की कोशिश करती हैं तो लड़खड़ा कर गिर जाती हैं.
- भेड़-बकरी को फिर से एक-दो दस्त आ जाते हैं.
- लेकिन इस बार दस्त के साथ थोड़ा सा खून भी आने लगता है.
- दस्त में खून के साथ पशु की मौत हो जाती है.
फड़किया से बचाने के लिए अपनाएं ये उपाय?
- भेड़ों के झुंड को खुले में चरने के लिए ले जाने से पहले सूखा चारा खिला दें.
- बरसात के दिनों में बाहर चरने वाली भेड़-बकरी की खुराक में मिनरल्स बढ़ा दें.
- सूखा चारा खूब खिलाने से हरे चारे में मौजूद नमी का स्तर सामान्य हो जाता है.
- पशु को सूखे चारे के तौर पर कई तरह का भूसा दिया जा सकता.
- भेड़-बकरी को मिनरल्स में खल, बिनौले, चने की चूनी आदि खिलाई जा सकती है.
निष्कर्ष-
बरसात के दौरान पशुओं की बहुत सारी बीमारी के बैक्टीरिया ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं. कुछ बीमारी ऐसी हैं जिनका कोई इलाज नहीं है. ऐसी बीमारियों के इलाज के नाम पर सिर्फ वैक्सीनेशन है. फड़किया ऐसी ही एक बीमारी है. साइंटिस्ट अभी इस बीमारी का इलाज नहीं खोज पाए हैं. लेकिन वक्त से वैक्सीनेशन कराने से बीमारी की रोकथाम की जा सकती है. एक्सपर्ट के मुताबिक ये फड़किया बीमारी बकरियों में कम और भेड़ों में ज्यादा होती है.
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