फिश एक्सपोर्ट और झींगा पालन के लिए छह सितम्बर का दिन खास होने वाला है. विभाग के तीनों केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी केन्द्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल और जॉर्ज कुरियन इस पर चर्चा करने के लिए विशाखापत्तनम जा रहे हैं. इस मौके पर झींगा पालन और वैल्यू चैन को मजबूत करने समेत फिश एक्सपोर्ट पर चर्चा की जाएगी. बड़ी संख्या में फिश एक्सपोर्टर भी इस चर्चा में शामिल हो रहे हैं. फिशरीज एक्सपर्ट का कहना है कि मछली पालन सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला है, जो राष्ट्रीय आय, निर्यात और फूड सिक्योरिटी में अहम रोल अदा करता है.
मछली उत्पादन के मामले में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर आ गया है. देश की जीडीपी में भी मछली उत्पादन का योगदान लगातार बढ़ रहा है. इसी को देखते हुए मछली पालन को केंद्रित नीति और वित्तीय मदद की जरूरत है. भारत सरकार ने 2015 के बाद से अब तक मछली पालन के सेक्टर में 38,572 करोड़ रुपये की मूल्य वाली PMMSY, FIDF, नीली क्रांति, PMMKSSY आदि योजनाओं को लागू किया है.
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मत्स्य मंत्रालय ने एक आंकड़ा जारी करते हुए बताया है कि बीते 10 दस साल में झींगा पालन और एक्सपोर्ट में तेजी आई है. करीब 107 फीसद की रेट से पालन और एक्सपोर्ट दोगुना हो गया है. अगर साल 2013-14 की बात करें तो 19,368 करोड़ रुपये का झींगा एक्सपोर्ट हुआ था. जबकि साल 2023-24 में ये बढ़कर 40 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. इतना ही नहीं सीफूड एक्सपोर्ट में भी खूब तरक्की हुई है. बीते 10 साल में ये 14 फीसद की रेट से बढ़ा है. बात मछली-झींगा पालन की हो या फिर एक्सपोर्ट की, इसे और कैसे बढ़ाया जाए इसीलिए छह सितम्बर को विशाखापत्तनम में पर रणनीति बनाने के लिए मछली पालक, मछुआरों, सीफूड एक्सपोर्टर, पॉलिसी बनाने वाले और रिसर्च करने वाले साइंटिस्ट को बुलाया गया है.
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मछली पालन में और समुद्र में मछली-झींगा के अलावा और भी ऐसे प्रोडक्ट हैं जिनका एक्सपोर्ट बढ़ाया जा सकता है. ऐसा करने से ना सिर्फ मछुआरों बल्कि मछली पालकों की इनकम भी बढ़ेगी. मंत्रालय के अफसरों का कहना है कि अलग-अलग तर की मछली, समुद्री शैवाल, कोरल रीफ और सीफूड प्रोडक्ट जैसे सीवीड की एक्सपोर्ट क्षमता को और बढ़ाया जा सकता है. ऐसा करने से देश के लाखों मछुआरों, तटीय समुदायों और मछली किसानों की आजीविका को सुधारने के साथ ही उनकी इनकम बढ़ाने का काम किया जा सकेगा. इस मौके पर फूड सिक्योरिटी सुनिश्चित करने, सीफूड एक्सपोर्ट और वैल्यू चैन की क्षमता का पता लगाने और उसमे सुधार करने, एक्वाकल्चर टेक्नोलॉजी के बुनियादी ढांचे का विकास करने समेत एक्सपोर्ट मार्केट पर भी चर्चा होगी.
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