एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक ज्यादा दूध लेने और दूध में अच्छी फैट के लिए पशुओं को तीन तरह की खुराक देना जरूरी है. जिसमे हरे और सूखे चारे के अलावा मिनरल मिक्चर (दाना) भी शामिल है. लेकिन कई बार कुछ पशुपालक सस्ते या ज्यादा होने के चलते पशुओं को सुबह-शाम खूब हरा चारा खिलाते हैं. हालांकि हरा चारा खिलाने का अपना एक तरीका होता है. क्योंकि हरा चारा दुधारू पशुओं के लिए जितना फायदेमंद होता है तो गलत तरीके से खिलाने पर उससे ज्यादा नुकसान भी पहुंचा सकता है. खासतौर पर दलहनी चारा.
होता ये है कि सर्दियों के मौसम में दाना महंगा हो जाता है. ऐसे में पशुओं को उसकी भरपाई के लिए दलहनी चारा खिलाने की सलाह दी जाती है. लेकिन पशुपालक पशुओं को कुछ ज्यादा ही दलहनी चारा खिला देते हैं. जिसके चलते पशुओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसमे सबसे ज्यादा पेट संबंधी बीमारियां होती हैं. हालांकिन इन बीमारियों का इलाज घर पर भी हो जाता है, लेकिन इनका सबसे बड़ा असर पशु के दूध उत्पादन पर पड़ता है.
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चारा एक्सपर्ट की मानें तो हरे चारे में नमी की मात्रा काफी होती है. और पशु अगर ज्यादा हरा चारा खा लेता है तो उसे डायरिया समेत कई दूसरी बीमारी होने का खतरा लगा रहता है. इतना ही नहीं चारे में शामिल नमी के चलते दूध की क्वालिटी भी खराब होती है. इसलिए ये जरूरी है कि जब पशु हरा चारा खा रहा हो या बाहर चरने के लिए जा रहा हो तो उसे सूखा चारा और थोड़ा सा ही सही लेकिन मिनरल मिक्चर खिलाकर बाहर भेजें. ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे सूखा चारा हरे चारे में मौजूद नमी का स्तर सामान्य कर देता है. वहीं दाना खिलाने से दूध में फैट बढ़ने के साथ ही उसकी क्वालिटी और बेहतर हो जाती है.
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फीड एक्सपर्ट का कहना है कि हरा, सूखा चारा हो या दाना ये सब पशु की उम्र, उसका वजन और उसके उत्पादन को देखकर ही तय किया जाता है. यहां तक की जो पशु उत्पादन नहीं कर रहा है उसे भी जिंदा और हेल्दी रखने के नियमानुसार ही डाइट दी जाती है. इसलिए ये जरूरी है कि जब दाने की जगह दलहनी हरा चारा खिलाया जा रहा हो तो इस बात का ख्याल रखें की उसकी मात्रा ज्यादा ना हो जाए. अगर फिर भी हरा चारा खाने से पशु को दस्त हो जाएं तो फौरन ही डाक्टर की सलाह लें. पेट में अफरा हो तो बड़े पशु को 500 ग्राम सरसों के तेल में 50 ग्राम तारपीन का तेल मिलाकर पिलाया जा सकता है. और एहतियात के तौर पर दलहनी हरे चारे को थोड़ा सा सुखाकर खिलाएं तो वो पशु को नुकसान नहीं करेगा.
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