Tariff War: पोल्ट्री पर ये पड़ेगा टैरिफ वॉर का असर, जानें क्या बेचना चाहता है अमेरिका

Tariff War: पोल्ट्री पर ये पड़ेगा टैरिफ वॉर का असर, जानें क्या बेचना चाहता है अमेरिका

Tariff War and Poultry अमेरिका चिकन प्रोडक्ट पर से आयात शुल्क कम करने की मांग कर रहा है. ये डिमांड इसलिए हो रही है जिससे अमेरिकी चिकन लेग पीस भारत में बेच सके. अमेरिका में चिकन लेग पीस बहुत कम यानि न के बराबर खाए जाते हैं. भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान भी अमेरिका ने ये कोशि‍श की थी. 

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Tariff War: पोल्ट्री पर ये पड़ेगा टैरिफ वॉर का असर, जानें क्या बेचना चाहता है अमेरिका

Tariff War and Poultry अमेरिका का टैरिफ वॉर अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है. हर रोज नया विवाद सामने आ रहा है. दूसरी और इस टैरिफ वॉर के चलते देश के पोल्ट्री फार्मर भी परेशान हैं. अमेरिका भारत में अपना पोल्ट्री प्रोडक्ट बेचना चाहता है. इसी के चलते टैरिफ को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है. अमेरिका भारत में भेजे जाने वाले अपने सामान पर टैरिफ कम करने का दबाव बना रहा है. इसी में से एक आइटम है पोल्ट्री चिकन. पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े लोगों के मुताबिक अमेरिका भारत में पूरा चिकन नहीं सिर्फ लेग पीस बेचना चाहता है. 

जबकि सिर्फ लेग पीस ही नहीं भारत पूरे चिकन की अपनी डिमांड को खुद ही पूरा कर लेता है. उसे किसी दूसरे देश से चिकन खरीदने की जरूरत नहीं है. भारत ने चिकन के आयात पर 45 फीसद टैरिफ लगाया हुआ है. ये कदम देश के पोल्ट्री सेक्टर को बचाने के मकसद से उठाया गया है. जबकि अमेरिका चाहता है कि भारत चिकन के आयात पर लगे टैरिफ को कम करे. 

अमेरिकन चिकन लेग पीस का है बड़ा बाजार 

पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े जानकार बताते हैं कि अमेरिका में चिकन लेग पीस की डिमांड कम है. वहां चिकन के दूसरे पार्ट ज्यादा खाए जाते हैं. इसलिए वहां के बाजार में लेग पीस बहुत बचता है. हालांकि अभी इस बात की उम्मीद कम है कि भारत पोल्ट्री प्रोडक्ट पर टैरिफ कम करेगा. क्योंकि सरकार हमेशा से किसानों के बारे में सोचती आई है. अगर फिर भी किसी वजह से टैरिफ कम कर दिया जाता है तो इसे दोनों ही तरीके से देखा जा सकता है. पोल्ट्री के तहत वहां से आने वाला अंडा तो भारत में आकर काफी महंगा हो जाएगा. जबकि हमारे बाजारों में अंडा छह से सात रुपये तक बिकता है. और दूसरा ये कि वहां के बाजार को देखते हुए मुझे उम्मीद है कि अमेरिका से लेग पीस भारत के बाजारों में भेजा जाएगा. क्योंकि अभी भी अमेरिका के पोल्ट्री कारोबारियों की पहली कोशिश यही होती है कि चिकन के बचे हुए लेग पीस को कैसे बेचा जाए. 

भारत में है हर महीने 40-45 करोड़ मुर्गों की डिमांड  

पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि देश में हर महीने 40 से 45 करोड़ मुर्गे खाए जाते हैं. चूजे (चिक्स) बेचने वाली कंपनियां हर महीने ब्रॉयलर पोल्ट्री फार्मर को 40 से 45 करोड़ चूजे बेचती हैं. 35 से 40 दिन बाद यही चूजे बाजार में बेचने लायक बड़े हो जाते हैं. देश में करीब पांच लाख पोल्ट्री फार्मर ऐसे हैं जो चिकन के लिए चूजे पालते हैं. एक फार्म पर एवरेज पांच कर्मचारी काम करते हैं. इसके लिए फार्म में फीड सप्लाई करने वाली कंपनियां, दवाई और फार्म में इस्तेमाल होने वाले उपकरण बनाने वाली कंपनियां, फीड के लिए मक्का, बाजरा और दूसरे आइटम बेचने वाले. चिकन की ट्रेडिंग और बिक्री करने वालों को मिला लें तो करीब दो से ढाई करोड़ लोग सीधे तौर पर ब्रॉयलर पोल्ट्री फार्म से जुड़े होते हैं.

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