Apple Production: यूपी-राजस्थान में सेब का उत्पादन होने की साइंटिस्ट ने बताई खास वजह, पढ़ें डिटेल 

Apple Production: यूपी-राजस्थान में सेब का उत्पादन होने की साइंटिस्ट ने बताई खास वजह, पढ़ें डिटेल 

Apple Production in UP गर्म मौसम वाले राज्यों के लिए सेब का पौधा तैयार करने के लिए जंगल से सेब के पौधे की जड़ ली जाती है या फिर टिश्यू कल्चर से जड़ तैयार कर इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश उसे वायरस फ्री बनाता है. उसके बाद उस जड़ में क्राफ्ट तकनीक से सेब की जो वैराइटी उगानी है उसकी कलम लगा दी जाती है. 

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Apple Production: यूपी-राजस्थान में सेब का उत्पादन होने की साइंटिस्ट ने बताई खास वजह, पढ़ें डिटेल लैब में एक खास तरीके की वैराइटी तैयार कर यूपी-राजस्थान में सेब उत्पादन किया जा रहा है.

Apple Production in UP यूपी और राजस्थान में पड़ने वाली गर्मी से सभी वाकिफ हैं. हर कोई जानता है कि यहां कितनी भीषण गर्मी पड़ती है. राजस्थान के चुरू की बात करें तो यहां तापमान 50 डिग्री सेल्सि यस को भी पार कर जाता है. लेकिन ऐसे इलाकों में भी सेब की खेती हो रही है. यूपी के गाजीपुर में एक खास किस्म के सेब की पैदावार हो रही है. सोशल मीडिया पर पर यूपी-राजस्थान के सेब को लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं. मई-जून में भी जूस से भरा मीठा सेब उगता देख सब हैरान हैं. 

हालांकि यूपी और राजस्थान में सेब की खेती देखकर इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के साइंटिस्ट को बिल्कुल भी हैरानी नहीं हो रही है. उनका कहना है कि अब ये बहुत ही छोटी बात है कि हम गर्म मैदानी इलाकों में सेब उगा रहे हैं. अब तो किसी भी मौसम में देश के किसी भी हिस्से में सेब उगाया जा सकता है. 

अन्ना, फूजी, और डोसर्ट गोल्डन से हो रही सेब की पैदावार

सेब पर रिसर्च करने वाले आईएचबीटी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. राकेश कुमार की मानें तो सेब की जो वैराइटी यूपी और राजस्थान में हो रही हैं वो लो चिलिंग एरिया की है. यह वैराइटी हैं अन्ना, फूजी, सन फूजी और डोसर्ट गोल्डन. लो चिलिंग एरिया की वैराइटी उसे कहते हैं जिसे कम ठंडक की जरूरत होती है. जैसे हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में होने वाले सेब को करीब एक हजार घंटे की ठंडक की जरूरत होती है. जबकि लो चिलिंग एरिया में होने वाली वैराइटी को करीब 500 घंटे की ठंडक चाहिए होती है. और मैदानी इलाके में इस तरह की ठंडक सर्दी के मौसम में दिसम्बर-जनवरी में मिल जाती है. 

सेब का पौधा रोपने से पहले जान लें ये बातें  

सेब के पौधे को उचित देखभाल की जरूरत होती है. क्योंकि इसमे बीमारियां जल्दी लगती हैं. मैदानी इलाकों में दिसम्बर-जनवरी में इसके पौधे लगाए जा सकते हैं. इसके लिए एक मीटर चौड़ा और एक मीटर गहरा गड्डा खोदना होगा. लेकिन इस दौरान यह ख्याल रहे कि आधा मीटर की खुदाई होने पर उस मिट्टी को अलग रखें और सबसे नीचे के आधा मीटर की मिट्टी को अलग. गड्डे को भरने से पहले मिट्टी को अच्छी तरह से धूप दिखा दें. साथ ही हम किसानों को समय-समय पर और भी सलाह देते रहते हैं.

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