तेजी से और लगातार बढ़ने वाले कारोबारी सेक्टर में डेयरी भी शामिल है. यही वजह है कि देखते ही देखते दूध का उत्पादन 23 करोड़ टन पर पहुंच गया है. दुनिया में दूध का सबसे ज्यादा उत्पादन भारत में ही होता है. इसी के चलते राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI), करनाल के डायरेक्टर और वाइस चांसलर डॉ. धीर सिंह ने कहा है कि अगर डेयरी सेक्टर में मौजूदा वक्त की डिमांड को देखते हुए तीन ऐसे बड़े काम करने का सुझाव दिया है जिससे इस सेक्टर में बूम आ जाएगा और मुनाफा भी बढ़ेगा.
इस मौके पर NDRI के छात्रों ने पोस्टर के माध्यम से भी डेयरी के विकास पर सुझाव दिए और मौजूदा हालात को बयां किया. जिसके लिए कुछ छात्रों को सम्मानित भी किया गया. ये मौका था संस्थान में हुए एक सेमिनार का जिसका विषय था ‘इंडियन डेयरी और फूड बिजनेस’.
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सेमिनार को संबोधित करते हुए डॉ. धीर सिंह ने कहा कि डेयरी सेक्टर में पर्यावरण एक बड़ी परेशानी बन गई है. इसके साथ ही डेयरी सेक्टर में उत्पादन से लेकर सप्लाई तक में ऊर्जा का बढ़ता इस्तेमाल भी परेशानी बन रहा है. लेकिन इसके लिए एक काम ये किया जा सकता है कि डेयरी प्लांट से निकलने वाले वेस्ट को ही दोबारा से ऊर्जा के लिए इस्तेमाल किया जाए. इससे होगा ये कि डेयरी पर बढ़ता ऊर्जा का खर्च कम होगा और पर्यावरण संबंधी परेशानी भी दूर होगी. इसके साथ ही डेयरी प्रोडक्ट की क्वालिटी पर काम करने और ध्यान देने की बहुत जरूरत है. ग्राहकों के भरोसे को बनाए रखने के लिए मिलावट को रोकने की भी जरूरत है. और ये सब मुमकिन होगा लगातार जांच से. इसके चलते लोगों की हैल्थ भी ठीक रहेगी. इस सब से बाजार में डेयरी प्रोडक्ट का दाम भी अच्छा मिलेगा. आखिर में उन्होंने बताया कि हमारा संस्थान डेयरी सेक्टर में आने वाली इस तरह की चुनौतियों का समाधान देने में सक्षम हैं.
सेमिनार में डॉ. एसएल गोस्वामी, पूर्व कुलपति, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा और पूर्व निदेशक, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद ने भी इंडियन डेयरी और फूड बिजनेस को लेकर कहा कि बिजनेस की लम्बी कामयाबी तय करने के लिए निरंतर नवाचार, सहयोग और टिकाऊ प्रथाओं की आवश्यकता पर जोर देने की जरूरत है. इंडियन डेयरी संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जी.एस. राजोरहिया भी इस अवसर पर उपस्थित थे. डॉ. राजोरहिया ने कार्यक्रम के सफल आयोजन की सराहना की और विकसित भारत के समावेशी राष्ट्रीय विकास के लिए डेयरी अनुसंधान में नवाचार को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया.
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सेमिनार के दौरान छात्रों, वैज्ञानिकों और शोधार्थियों के लिए चार विषयों पर पोस्टर सत्र आयोजित किया गया, जिनमें डेयरी और फूड प्रोसेसिंग में नवाचार, फूड सेक्टर में सुरक्षा और गुणवत्ता का प्रबंधन, विकसित भारत में टिकाऊ दूध उत्पादन, वैल्यू एडिशन विश्लेषण, प्रौद्योगिकी प्रभाव मूल्यांकन और डेयरी बिजनेस में विज्ञान को नीति में बदलने के लिए लिंग भागीदारी विषय थे. इस मौके पर एनडीआरआई के रजत जयंती बैच को भी सम्मानित किया गया.
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