Water Quality: पोल्ट्री फार्म में मुर्गियां बीमार ना हों इसलिए पिलाएं ये खास पानी, पढ़ें डिटेल

Water Quality: पोल्ट्री फार्म में मुर्गियां बीमार ना हों इसलिए पिलाएं ये खास पानी, पढ़ें डिटेल

पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि अगर फार्म पर मुर्गियां खराब पानी पी रही हैं तो फिर उन्हें आप खाने में कितना भी अच्छा फीड दे दिजिए उसका कोई असर नहीं पड़ेगा. उल्टे खराब पानी पीकर बीमार होने से फार्म की लागत बढ़ जाएगी. जिसके चलते पोल्ट्री प्रोडक्ट जैसे अंडे और चिकन को बाजार में बेचने पर परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

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Water Quality: पोल्ट्री फार्म में मुर्गियां बीमार ना हों इसलिए पिलाएं ये खास पानी, पढ़ें डिटेलब्रॉयलर चिकन के चूजों का फार्म.

पोल्ट्री फार्म में मुर्गे-मुर्गियों के लिए साफ-स्वच्छ पानी बहुत जरूरी होता है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पोल्ट्री फार्म खोलने का पहला नियम ये है कि जिस जमीन पर फार्म खोलना है वहां के ग्राउंड वॉटर की जांच करा लें. अगर पीने के पानी की क्वालिटी सही नहीं है तो फिर फार्म पर मुर्गियां आए दिन बीमार होंगी. पानी का असर अंडे और चिकन उत्पादन पर भी पड़ेगा. इसीलिए पोल्ट्री एक्सपर्ट मु्र्गियों के पीने के साफ पानी पर बहुत जोर देते हैं. लेकिन होता इसके उलट है, पोल्ट्री फार्मर अक्सर मुर्गियों को पीने का साफ पानी पिलाने में लापरवाही बरतते हैं. 

जबकि पीने के पानी की अच्छी क्वालिटी के लिए जरूरी है कि उसकी माइक्रोबियल और कैमिकल जांच जरूर कराई जाए. एक्सपर्ट का कहना है कि पानी में आंखों से ना दिखाई देने वाले जीवाणु-कीटाणु आने का जो माध्यम है उसमे तालाब, नदियां, खुले कुएं, पब्लिक वॉटर सप्लाई सिस्टम, स्टोर कर ट्रांसपोर्ट करने के दौरान और ओवरहेड टैंक आदि होते हैं. 

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पोल्ट्री फार्म में ऐसा हो मुर्गियों के पीने का पानी

पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि बरसात के दिनों में और बाढ़ आने पर पानी के दूषि‍त होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. इतना ही नहीं अगर पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों के पीने का पानी अगर ज्यादा दिन तक टैंक में स्टोर किया जाता है तो उसमे पानी की गंदगी जमा होने लगती है और उससे भी कोलीफॉर्म जीवों की संख्या बढ़ जाती है. पानी की क्वालिटी और उसका स्वाद कैसा होगा ये पानी में मौजूद मिनरल्स और मौसम पर भी निर्भर करता है. 

पानी की जांच के मानक

कुल कठोरता 60-180
पीएच 6.8-7.5
नाइट्रेट 10 मिलीग्राम-लीटर
नाइट्राइट 0.4 मिलीग्राम-लीटर
कुल जीवाणु गणना 00
कोलीफॉर्म गणना 00
कैल्शियम क्लोराइड 60 मिलीग्राम-लीटर
सोडियम 50 मिलीग्राम-लीटर
सल्फेट 125 मिलीग्राम-लीटर 

  • सस्ते और सरल तरीकों से अतिरिक्त घुले खनिजों को हटाना व्यावहारिक नहीं है. 
  • पानी में खनिजों की मात्रा ज्यादा होने पर दूसरे वॉटर सोर्स इस्तेमाल करने चाहिए. 
  • माइक्रोबियल से छुटकारा पाने के लिए क्लोरीनीकरण सबसे अच्छा और सस्ता तरीका है.
  • पीने के पानी में पीपीएम की मात्रा एक से दो होनी चाहिए. 
  • पीपीएम का लेवल बनाने के लिए 1000 लीटर पानी में पांच-आठ ग्राम ब्लीचिंग पाउडर मिलाएं. 
  • पानी में मिलाए जा रहे ब्लीचिंग पाउडर में क्लोरीन की मात्रा 35 फीसद होनी चाहिए. 
  • पानी को एक घंटे रोकने के बाद ही मुर्गियों को पिलाएं. 
  • जहां एक घंटे तक पानी स्टोर नहीं किया जा सकता है वहां पानी में क्लोरीन डाइऑक्साइड पांच फीसद, एक मिलीलीटर सोडियम हाइपोक्लोराइट (सैनीटेक) 10 लीटर पानी में इस्तेमाल करना चाहिए. 
  • 1.6 फीसद आयोडीन युक्त आयोडोफोर का इस्तेमाल वॉटर सैनिटाइजर के रूप में करना चाहिए. 
  • क्वाटरनरी अमोनियम यौगिक युक्त प्रोडक्ट जैसे क्वाट, क्वाटोवेट, एन्सिवेट, सोक्रेना आदि का इस्तेमाल एक्सपर्ट की सलाह पर वॉटर सैनिटाइजर के रूप में किया जा सकता है.

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पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि अगर हम पोल्ट्री फार्म में मु्र्गियों को साफ और स्वच्छ पानी पिला रहे हैं तो वो पानी से होने वाली बीमारी से बचे रहेंगे और दवाईयों का खर्च भी बच जाएगा. इतना ही नहीं फार्म के वॉटर सिस्टम से जुड़ी पाइप लाइन और स्टोरेज टैंक की लाइफ भी बढ़ जाएगी. और इस सब का सीधा फायदा अंडे-चिकन के उत्पादन पर मिलेगा. 
 

 

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