CIRG: दूध और ऊन नहीं मीट के लिए होती है मुजफ्फरनगरी भेड़ की डिमांड 

CIRG: दूध और ऊन नहीं मीट के लिए होती है मुजफ्फरनगरी भेड़ की डिमांड 

राजस्थान में गर्मियों के दौरान जब चारे की कमी हो जाती है तो कुछ खास जाति के चरवाहे भेड़ों को लेकर, जिन्हें रेवड़ भी कहा जाता है, को 6 महीने के लिए दूसरे राज्यों में निकल जाते हैं. मानसून शुरू होने पर ही यह अपने घरों की ओर लौटते हैं. एक रेवड़ में 100 भेड़ होती हैं.

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CIRG: दूध और ऊन नहीं मीट के लिए होती है मुजफ्फरनगरी भेड़ की डिमांड मुजफ्फरनगरी भेड़ का प्रतीकात्मक फोटो.

आमतौर पर भेड़ की पहचान ऊन से की जाती है. माना भी यही जाता है कि भेड़ पालन ऊन के लिए होता है, लेकिन ऐसा नहीं है. भेड़ की एक खास नस्ल, जो खासी पुरानी भी है, को सिर्फ मीट के लिए ही पाला जाता है. भेड़ की 44 तरह की नस्लों के बीच यह एक ऐसी नस्ल की भेड़ है जिसका वजन सबसे ज्यादा होता है. ऐसा भी नहीं है कि इसके शरीर पर ऊन नहीं होता है. ऊन होता तो है लेकिन उसकी क्वालिटी इतनी अच्छी नहीं होती है कि वो गलीचा बनाने में काम आ सके. यह खास मुजफ्फरनगरी भेड़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की है.  

केन्द्रीय पशु पालन मंत्रालय के मुताबिक देश में भेड़ों की कुल संख्या़ करीब 7 करोड़ है. इसमे से प्योर ब्रीड वाली भेड़ों की संख्या करीब 2 करोड़ है. नेल्लोरी भेड़ के साथ ही राजस्थान में जयपुर से करीब 80 किमी दूर अविकानगर में भेड़ों की सबसे अच्छी नस्ल अविसान पाई जाती है. इस नस्ल को दूसरे राज्यों में भी पाला जाता है. बीकानेरी, चोकला, मागरा, दानपुरी, मालपुरी तथा मारवाड़ी नस्ल की भेड़ो से प्राप्त होने वाले ऊन का इस्तेमाल कालीन बनाने में किया जाता है.

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देश के चार राज्यों में खास तौर पर पसंद की जाती है यह भेड़ 

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. गोपाल दास ने किसान तक को बताया कि मुजफ्फरनगरी भेड़ के मीट में चिकनाई (वसा) बहुत होती है. जिसके चलते हमारे देश के ठंडे इलाके हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में मुजफ्फरनगरी भेड़ के मीट की बहुत डिमांड रहती है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश में चूंकि बिरयानी खाने का चलन काफी ज्यादा है, इसलिए चिकने मीट के लिए भी इसी भेड़ के मीट की डिमांड रहती है. जानकार बताते हैं कि चिकने मीट की बिरयानी अच्छी बनती है. 

राजस्थान की भेड़ों से इस तरह अलग है मुजफ्फरनगरी भेड़

डॉ. गोपाल दास बताते हैं कि राजस्थान में बड़ी संख्या में भेड़ पाली जाती हैं, लेकिन वहां पाली जाने वाली भेड़ और मुजफ्फरनगरी भेड़ में खासा फर्क है. दूसरी नस्ल की जो भेड़ हैं, उनका ऊन बहुत अच्छा होता है. जबकि मुजफ्फरनगरी भेड़ की ऊन रफ होती है. जैसे ऊन के रेशे की मोटाई 30 माइक्रोन होनी चाहिए, जबकि मुजफ्फरनगरी भेड़ की ऊन के रेशे की मोटाई 40 माइक्रोन है. गलीचे के लिए भी इसे बहुत बढ़िया ऊन नहीं माना जाता है.  

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असली मुजफ्फरनगरी भेड़ की यह होती है पहचान 

डॉ. गोपाल दास ने बताया कि अगर आप मुजफ्फरनगरी भेड़ खरीद रहे हैं तो उसकी पहचान कुछ खास तरीकों से की जा सकती है. देखने में इसका रंग एकदम सफेद होता है. पूंछ लम्बी होती है. 10 फीसद मामलों में तो इसकी पूंछ जमीन को छूती है. कान लम्बे होते हैं. नाक देखने में रोमन होती है. मुजफ्फरनगर के अलावा बिजनौर, मेरठ और उससे लगे इलाकों में खासतौर पर पाई जाती है. 

हार्ड नस्ल है तो मृत्यु दर भी कम है 

डॉ. गोपाल दास ने यह भी बताया कि मुजफ्फरनगरी भेड़ हार्ड नस्ल की मानी जाती है. इसीलिए इस नस्ल में मृत्यु दर सिर्फ 2 फीसद ही है. जबकि दूसरी नस्ल की भेड़ों में इससे कहीं ज्याादा है. इसके बच्चे 4 किलो तक के होते हैं. जबकि दूसरी नस्ल के बच्चे 3.5 किलो तक के होते हैं. अन्य नस्ल की भेड़ों से हर साल 2.5 से 3 किलो ऊन मिलता है. जबकि मुजफ्फरनगरी भेड़ 1.2 किलो से लेकर 1.4 किलो तक ही ऊन हर साल देती है.

6 महीने में मुजफ्फरनगरी का वजन 26 किलो हो जाता है, जबकि अन्य नस्ल में 22 या 23 किलो वजन होता है. 12 महीने की मुजफ्फरनगरी का वजन 36 से 37 किलो तक हो जाता है. वहीं अन्य नस्ल की भेड़ इस उम्र में सिर्फ 32 से 33 किलो वजन तक ही पहुंच पाती हैं. इसके बच्चे जल्दी‍ बड़े होते हैं. दूसरी नस्लों की तुलना में मुजफ्फरनगरी भेड़ भी बकरियों के साथ पाली जा सकती है. 

भेड़ों से जुड़े कुछ तथ्य एक नजर में 

  • भेड़ों की कुल 44 नस्ल रजिस्टर्ड हैं. 
  • भेड़ों को खासतौर पर दूध, मीट और ऊन के लिए पाला जाता है. 
  • कुल मीट प्रोडक्शन में भेड़ की हिस्सेदारी 10.04 फीसद है. 
  • देश में ऊन का कुल प्रोडक्शन 37 मिलियन टन है. 
  • देश के पांच राज्यों में 82 फीसद ऊन का प्रोडक्शन होता है. 
  • 2020-21 में देश में भेड़ की मीट का कुल उत्पादन 8.83 लाख टन था. 
  • देश के 5 राज्यों  में ही 7.5 लाख टन से ज्यादा मीट उत्पादन होता है. 

सबसे ज्यादा मीट उत्पादन करने वाले 5 राज्य

  1. तेलंगाना- 3 लाख 
  2. आंध्र प्रदेश- 2.41 लाख 
  3. कर्नाटक- 1.17 लाख 
  4. तमिलनाडू- 64.46 हजार
  5. राजस्थान- 51.41 हजार

नोट- मीट के आंकड़े टन में हैं. 

सबसे ज्यादा ऊन उत्पादन करने वाले 5 राज्य  

  1. राजस्थान- 42.45 
  2. जम्मू-कश्मीर- 20.71 
  3. तेलंगाना- 9.11 
  4. गुजरात- 5.43
  5. महाराष्ट‍- 4.20 

नोट- आंकड़ें फीसद में हैं. 

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