Goat Breed: राजस्थानी नस्ल के ये बकरे पाले तो कर देंगे मालामाल, खरीदने से पहले ऐसे करें पहचान 

Goat Breed: राजस्थानी नस्ल के ये बकरे पाले तो कर देंगे मालामाल, खरीदने से पहले ऐसे करें पहचान 

बकरीद के दौरान उत्तर भारत में बकरों की चार बड़ी मंडी लगती हैं. इन्हीं मंडियों से निकला बकरा देश के दूसरे इलाकों में बिकने के लिए जाता है. अगर राजस्थान की इन चार नस्ल के बकरों के बारे में बात करें तो इन चारों बकरा मंडियों में मिल जाता है. लेकिन जरूरत बस ये है कि खरीदने वाले को नस्ल की पहचान होनी चाहिए. 

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Goat Breed: राजस्थानी नस्ल के ये बकरे पाले तो कर देंगे मालामाल, खरीदने से पहले ऐसे करें पहचान बकरीद के दौरान कुर्बानी के लिए तोतापरी बकरों की डिमांड रहती है.

देश में बकरे-बकरियों की 41 रजिस्टर्ड नस्ल हैं. जानकारों की मानें तो प्योर नस्ल को ही सरकारी आंकड़ों में दर्ज किया जाता है. अगर आप भी प्योर नस्ल के बकरे-बकरी पालना चाहते हैं तो राजस्थानी नस्ल के ये बकरे आपको मालामाल कर देंगे. बकरों की इन चार नस्ल को बकरीद के मौके पर भी बहुत पसंद किया जाता है. आम दिनों में भी मीट के लिए चारों नस्ल के बकरों की बहुत डिमांड रहती है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि बाजार में प्योर नस्ल के बकरे मुश्कि्ल से मिलते हैं. 

लेकिन जरूरत होती है प्योर नस्ल के बकरों की पहचान करना. अगर आपको नस्ल के हिसाब से बकरों की पहचान नहीं है तो फिर प्योर नस्ल के बकरे खरीदना मुश्किल हो जाता है. खासतौर पर राजस्थानी नस्ल के इन चार बकरों के बारे में जान लेना बहुत जरूरी है. क्योंकि अगर प्योर नस्ल के बकरे-बकरी पाले तो उनसे बच्चे भी प्योर नस्ल वाले मिलेंगे. जिन्हें बाजार में बेचने पर अच्छे दाम मिलते हैं. 

जखराना नस्ल के बकरे- 

बकरे की जखराना नस्ल अलवर, राजस्थान के एक गांव जखराना से निकली है. इसलिए इसका नाम भी जखराना पड़ गया है. असली जखराना की पहचान यह है कि यह पूरी तरह से काले रंग की होती है. लेकिन इसके कान और मुंह पर सफेद रंग के धब्बे होते हैं. इसके अलावा जखराना बकरी के पूरे शरीर पर किसी भी दूसरे रंग का कोई धब्बा नहीं मिलेगा. जखराना एक ऐसी नस्ल है जिसके बकरे और बकरी एक साल में 25 से 30 किलो वजन तक पर आ जाते हैं. बच्चे देने की क्षमता के बारे में बात करें तो 60 फीसद जखराना बकरी दो या तीन बच्चे‍ तक देती हैं. बकरीद के मौके पर जखराना बकरे भी खूब बिकते हैं. 

खूबसूरती की मिसाल हैं सोजत बकरे- 

सोजत नस्ल का बकरा राजस्थान के नागौर, पाली, जैसलमेर और जोधपुर में पाया जाता है. यह जमनापरी की तरह से सफेद रंग का बड़े आकार वाली नस्ल का बकरा है. इसे खासतौर पर मीट के लिए पाला जाता है. इस नस्ल का बकरा औसत 60 किलो वजन तक का होता है. वहीं बकरी दिनभर में एक लीटर तक दूध देती है. सोजत की नार्थ इंडिया समेत महाराष्ट्र में भी खासी डिमांड रहती है.

छरहरे कद के होते हैं सिरोही बकरे- 

सिरोही बकरा ब्राउन और ब्लैक कलर में पाया जाता है. इस पर सफेद रंग के धब्बे होते हैं. इस नस्ल का बकरा दिखने में खासा ऊंचा होता है. ये नस्ल सिर्फ राजस्थान में ही पाई जाती है. ये बकरा बाजार में कम से कम 12 से 15 हजार रुपये में मिल जाता है. 

तोते जैसी नाक से पड़ा तोतापरी नाम

तोतापरी नस्ल का बकरा पतला और लम्बा होता है. ऊंचाई कम से कम 3.5 से 4 फुट तक होती है. बाजार में बिकने के लिए तैयार होने में ये कम से कम 3 साल लेता है. ये नस्ल हरियाणा के मेवात और राजस्थान के भरतपुर जिले में पाई जाती है. इसकी बिक्री 12 से 13 हजार रुपये से शुरु होती है.

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