FMD Infection in Animals मॉनसून पशुपालकों के लिए राहत से ज्यादा परेशानी देने वाला मौसम है. इसी मौसम में खासतौर से पशुपालकों को संक्रमण वाली खतरनाक बीमारियां होती हैं. जिस बीमारी खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) से दुनियाभर के पशुपालक परेशान हैं वो भी इसी मौसम में ज्यादा होती है. अगर वक्त रहते इस बीमारी की पहचान कर इलाज नहीं कराया या फिर संक्रमण को फैलने से रोकने वाले उपाय नहीं किए तो इसके चलते पशु की मौत भी हो सकती है. और खास बात ये कि एफएमडी एक पशु से दूसरे पशुओं में भी तेजी से फैलती है.
इस बीमारी की गंभीरता को समझते हुए ही केन्द्र सरकार इसके खिलाफ देशभर में एफएमडी टीकाकरण अभियान बड़े ही जोर-शोर से चला रही है. इस अभियान के तहत हर साल करीब 50 करोड़ पशुओं को एफएमडी की वैक्सीन लगाई जा रही है. बजट में भी इसके बारे में चर्चा करते हुए एक बड़ी रकम जारी की गई है. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो इस बीमारी की वजह से देश का डेयरी प्रोडक्ट और मीट एक्सपोर्ट आगे नहीं बढ़ पा रहा है.
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो एफएमडी पीड़ित किसी भी पशु जैसे गाय-भैंस, भेड़-बकरी और सूअरों के लक्षण ये हैं कि उन्हें 104 से 106 एफ तक तेज बुखार आएगा. भूख कम हो जाएगी. पशु सुस्त रहने लगता है. मुंह से बहुत ज्यादा लार टपकना शुरू हो जाती है. मुंह में फफोले हो जाते हैं. खासतौर पर जीभ और मसूड़ों पर फफोले बहुत ज्यादा हो जाते हैं. पशु के पैर में खुर के बीच घाव हो जाते हैं, जो अल्सर होता है. गाभिन पशु का गर्भपात हो जाता है. थन में सूजन और पशु में बांझपन की बीमारी आ जाती है.
एक्सपर्ट का कहना है कि दूषित चारा और दूषित पानी पीने से पशुओं में एफएमडी रोग जल्दी फैलता है. बरसात के दौरान खासतौर पर पशु खुले में चरने के दौरान दूषित चारा-पानी खा और पी लेते हैं. खुले में पड़ी कुछ सड़ी-गली चीजें खाने से भी होता है. फार्म पर नए आने वाले पशु से भी ये बीमारी लग जाती है. पहले से ही एफएमडी से पीड़ित पशु के साथ रहने से भी हो जाती है.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि एफएमडी का कोई इलाज तो नहीं है, लेकिन कुछ जरूरी उपाय जरूर अपनाए जा सकते हैं. जैसे पीड़ित पशु को बाकी सभी पशुओं से अलग रखें. मुंह के घावों को पोटेशियम परमैंगनेट सॉल्यूशन से धोएं. इसके अलावा बोरिक एसिड और ग्लिसरीन का पेस्ट बनाकर उससे पशु के मुंह की सफाई करें. खुर के घावों को पोटेशियम सॉल्यूगशन या बेकिंग सोडा से धोएं. कोई एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं.
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