Dry Fish and Solar Tent झींगा और दूसरी मछलियों की तरह से सूखी मछली का भी अपना एक बड़ा बाजार है. देश ही नहीं विदेशों में भी सूखी मछली की बहुत डिमांड है. हालांकि भारत के पास सूखी मछली एक्सपोर्ट करने के बहुत मौके हैं, लेकिन मछली को सुखाने के तरीकों के चलते भारत सूखी मछली के एक्सपोर्ट में पीछे रह जाता है. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो सूखी मछली एक्सपोर्ट करना आसान नहीं है. क्योंकि मछली सुखाने के दौरान साफ-सफाई का ख्याल बहुत रखना होता है. सूखी मछली के मामले में घरेलू से ज्यादा इंटरनेशनल मार्केट के नियम बहुत ही सख्त हैं.
आज देश में 184 लाख टन मछली और झींगा जैसे दूसरे प्रोडक्ट का उत्पादन होता है. लेकिन इस आंकड़े के सामने सूखी मछली का एक्सपोर्ट अभी बहुत कम है. हालांकि देश में मछली सुखाने की तकनीक पर लगातार काम चल रहा है. कुछ चीजें तैयार भी कर ली गई हैं. बेशक मछली सुखाने की मौजूदा तकनीक छोटी है, लेकिन देश में सूखी मछली का एक्सपोर्ट बढ़ रहा है. साल 2022-23 में भारत से 5.5 हजार करोड़ रुपये की सूखी मछली का एक्सपोर्ट हुआ था. अच्छी बात ये है कि एक ही साल में देश ने इस आंकड़े को डबल पर पहुंचा दिया है.
फिशरीज एक्सपर्ट का कहना है कि मॉनसून का मौसम चल रहा है. ऐसे में साफ-सफाई के साथ मछली सुखाना बहुत टेड़ा काम होता है. क्योंकि मछली सुखाने के लिए जितनी जरूरत धूप की होती है उससे कहीं ज्यादा उसे धूल-मिट्टी और तमाम तरह के मच्छर-मक्खी और दूसरे कीट से बचाने की होती है. ऐसा होने पर ही सूखी मछली के सही दाम बाजार में मिल पाते हैं. कोस्टल एरिया की बात करें तो वहां अभी भी समुद्र किनारे रेत पर और नदी किनारे खुले में मछलियां सुखाई जाती हैं. इस तरीके से मछली सुखाने में साफ-सफाई के मानक पूरे नहीं हो पाते हैं. इस तरह मछली सुखाने से धूल-मिट्टी आने के साथ ही मछलियों पर मक्खियां भी बैठती हैं. मक्खियां इस पर अंडे भी दे देती हैं और यह बीमारियों की वजह बनती है. कई बार तो मौसम खराब होने पर मछलियां सूख नहीं पाती हैं.
मछलियां सुखाने की परेशानियों को देखते हुए सीफेट ने एक सोलर टेंट ड्रायर बनाया है. इसमे किसी भी तरह की मशीन की जरूरत नहीं है. यह सामान्य चीजों से ही बनाया गया है. सोलर टेंट के एक हिस्से को ट्रांसपेरेंट बनाया गया है. यहां से धूप पूरी तरह टेंट के अंदर आती है. टेंट के अंदर का हिस्सा पूरी तरह से काले रंग का है. काला रंग धूप की गर्मी अंदर की ओर खींचता है. जिससे टेंट के अंदर गर्मी बढ़ जाती है और हवा भी गर्म हो जाती है. ऐसा होने पर मछली सूखने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. टेंट के अंदर मछलियों रखने के लिए चार सेल्फ बनाई गई हैं. सेल्फ जाली की है. जिसका फायदा यह होगा कि सूखने पर कभी-कभी मछली में से पानी टपकता है तो वो जाली के पार हो जाएगा.
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