7 से 11 जुलाई तक मनाया जाएगा फिश फार्मर्स वीक, मछुआरों का बढ़ेगा हौसला

7 से 11 जुलाई तक मनाया जाएगा फिश फार्मर्स वीक, मछुआरों का बढ़ेगा हौसला

राष्ट्रीय मत्स्यपालक दिवस केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों का उत्सव ही नहीं है, बल्कि यह उन किसानों और मछुआरों को सम्मानित करने का दिन है, जिन्होंने अपनी मेहनत, नवाचार और समर्पण से भारत को नीली क्रांति के रास्ते पर आगे बढ़ाया है. यह अवसर हम सभी को मत्स्य पालन के महत्व और संभावनाओं को समझने का अवसर देता है.

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7 से 11 जुलाई तक मनाया जाएगा फिश फार्मर्स वीक, मछुआरों का बढ़ेगा हौसलामछुआरों को मिलेगा सम्मान

हर साल 10 जुलाई को नेशनल फिश फार्मर्स डे (NFFD) मनाया जाता है. इस दिन को 1957 में दो वैज्ञानिकों – डॉ. हीरालाल चौधरी और डॉ. एच.के. अलीकुन्ही द्वारा की गई मछलियों की कृत्रिम प्रजनन (Induced Breeding) की सफलता के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इस वैज्ञानिक उपलब्धि ने भारत में मत्स्य पालन (Fisheries) की दिशा ही बदल दी और देश में ब्लू रिवॉल्यूशन (नीली क्रांति) की शुरुआत की.

मछली पालक मत्स्य उद्योग की रीढ़

गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना के कॉलेज ऑफ फिशरीज (COF) की डीन, डॉ. मीरा डी. अंसल ने जानकारी दी कि आज मत्स्य पालन देश का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है. लेकिन यह सफलता केवल वैज्ञानिक शोध से नहीं, बल्कि देश के मेहनती मछली पालकों की वजह से संभव हुई है. उन्होंने परंपरागत मछली पालन को एक लाभदायक उद्योग में बदल दिया है.

7 से 11 जुलाई तक मनाया जाएगा फिश फार्मर्स वीक

कॉलेज ऑफ फिशरीज (COF) 7 से 11 जुलाई तक फिश फार्मर्स वीक मनाएगा. इस दौरान:

  • मछली पालन करने वाले किसानों का सम्मान किया जाएगा.
  • फिश फॉर्म्स का दौरा किया जाएगा ताकि अन्य किसान भी प्रेरित हो सकें.
  • मछली और मछली उत्पादों के सेवन को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.

डॉ. मीरा के अनुसार, मछली में प्रोटीन और पोषण तत्वों की भरपूर मात्रा होती है और यह खाद्य सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है. इसीलिए देश में एक मजबूत घरेलू बाज़ार की आवश्यकता है.

मछुआरों की भूमिका सराहनीय

यूनिवर्सिटी के उपकुलपति डॉ. जे.पी.एस. गिल ने कहा कि विश्व की लगभग 3.2 अरब आबादी को 20% प्रोटीन जलीय खाद्य पदार्थों से मिलता है. मछली पालक वैश्विक खाद्य सुरक्षा में अहम भूमिका निभा रहे हैं. इस NFFD के जरिए उन सभी को सम्मानित और प्रेरित किया जाएगा.

पंजाब में जल संसाधनों का बेहतर उपयोग

डॉ. आर.एस. ग्रेवाल, निदेशक (Extension Education), ने बताया कि पंजाब में ताजे पानी और खारे पानी दोनों क्षेत्रों में मछली पालन की काफी संभावनाएं हैं. वेट वर्सिटी द्वारा नई तकनीकों का परीक्षण और प्रदर्शन किया जा रहा है ताकि किसान उन्हें अपने खेतों पर अपना सकें – चाहे वह पानी की कमी वाले क्षेत्र हों या कम उपजाऊ जमीन.

नेशनल फिश फार्मर्स डे न केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों का जश्न है, बल्कि यह उन किसानों और मछुआरों को सम्मानित करने का दिन है जिन्होंने अपने परिश्रम, नवाचार और समर्पण से भारत को नीली क्रांति के पथ पर अग्रसर किया है. यह अवसर हम सभी को मत्स्य पालन के महत्व और संभावनाओं को समझने का मौका देता है.

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