केंद्र सरकार की तरफ से देश के राज्यों में नेशनल लाइवस्टॉक मिशन को लागू किया जा रहा है. इस मिशन मकसद इसके साथ के बिजनेस को बढ़ावा देना है. इस मिशन में सरकार की तरफ से बकरी पालन, सुअर पालन और पोल्ट्री के साथ चारा उत्पादन प्रोजेक्ट्स के लिए 50 फीसदी तक सब्सिडी का प्रावधान केंद्र सरकार ने तय किया है. लेकिन महाराष्ट्र में इस मिशन को अपनाने वाले किसानों के सामने एक नया संकट पैदा हो गया है. मार्च में राज्य में प्रोजेक्ट्स को मंजूरी तो मिल गई लेकिन अभी तक फंड नहीं दिया गया है. ऐसे में कई किसानों का जीवन संकट में आ गया है.
केंद्र सरकार इस मिशन के जरिये किसानों को आर्थिक स्थिरता मुहैया कराना चाहती है. लेकिन महाराष्ट्र में अभी तक 50 ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए फंड नहीं मिला है जिन्हें फरवरी में मंजूरी दी गई है. ऐसे में अब किसानों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. वेबसाइट अग्रोवन की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार के पास मार्च में इन प्रोजेक्ट्स से जुड़े फंड के लिए प्रपोजल भेजा जा चुका है. उम्मीद थी कि अप्रैल तक फंड मिल जाएगा लेकिन जून के अंत के फंड नहीं मिला है. प्रपोजल में विदर्भ के अमरावती, चंद्रपुर, बुलढाणा, वर्धा, भंडारा, यवतमाल, अकोला के साथ ही साथ शोलापुर, धुले, परभणी, अहिल्यानगर, सतारा, पुणे, बीड, छत्रपति संभाजीनगर, लातूर, नासिक और सांगली के नाम शामिल हैं. सूत्रों की मानें तो कुछ प्रोजेक्ट्स तो दिसंबर 2024 से फंड की वजह से अटके हुए हैं.
अमरावती के सतीश महोदा ने प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के तुरंत बाद 5000 स्क्वायर फीट की इमारत तैयार कर ली थी जिसमें 4000 स्क्वॉयर फीट का एक ओपेन एयर काऊशेड भी बनाया गया है. साथ ही उन्होंने 20 बाइ 40 फीट के गोदाम भी तैयार करवा लिए हैं जिसमें चारा स्टोर करने के अलावा मजदूरों के रहने का भी इंतजाम है. साथ ही अपने लिए भी एक कमरा बनवाया है. इन सारे इंतजामों पर उन्होंने अब तक 46 लाख रुपये खर्च कर डाले हैं. उन्हें उम्मीद थी कि पहले चरण के तहत उन्हें 9 लाख रुपये मिलेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका. अब सतीश ने इस काम को रोक दिया है क्योंकि उनके पास पैसे नहीं बचे हैं.
राज्य के दूसरे किसान भी इसी तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने तो अब केंद्र सरकार की मंशा पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. इस मिशन के तहत जहां 40 प्रतिशत लोन बैंक से मिलता है तो वहीं 50 फीसदी सब्सिडी केंद्र सरकार की तरफ से मिलने का ऐलान किया गया था. हर राज्य में प्रपोजल को सही तरह से वैरीफाई करने के बाद केंद्र सरकार को एक फंड शीट भेजी जाती है. केंद्र की तरफ से दो चरणों में सब्सिडी देने की सुविधा है.
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