Vaccination in Monsoon: बरसात के मौसम में बकरियों को बीमारी से बचाने के लिए लगवाएं टीके, ये है चार्ट Vaccination in Monsoon: बरसात के मौसम में बकरियों को बीमारी से बचाने के लिए लगवाएं टीके, ये है चार्ट
Goat Vaccination in Monsoon बकरियों की मृत्यु दर ही बकरी पालन का मुनाफा और नुकसान तय करती है. अगर वक्त से बकरियों की जांच हो जाए, तय वक्त पर टीका लग जाए और बीमार होने पर सही इलाज करा दिया जाए तो मुनाफे को बढ़ाया जा सकता है. क्योंकि इस मौसम में बकरियों को तमाम तरह की बीमारियों से सिर्फ टीकाकरण ही बचाता है.
बकरी का प्रतीकात्मक फोटो. फोटो क्रेडिट-किसान तकनासिर हुसैन - New Delhi,
- Jul 04, 2025,
- Updated Jul 04, 2025, 5:10 PM IST
Goat Vaccination in Monsoon मॉनसून यानि बरसात के मौसम छोटे हों या बड़े सभी पशुओं को बीमारियां घेर लेती हैं. इस दौरान वायरल और संक्रमण वाली दोनों तरह की बीमारियां पशुओं के लिए जानलेवा साबित होती हैं. हालांकि एनिमल एक्सपर्ट तो यही कहते हैं कि मॉनसून की शुरुआत में ही कुछ ऐसे उपाय अपना लें जिससे बीमारियां पशु पर अटैक ही न करें. वहीं ये भी सलाह देते हैं कि तय वक्त के मुताबिक अगर पशुओं का वैक्सीनेशन यानि टीकाकरण करा लिया जाए तो फिर किसी भी बीमारी का कोई खतरा ही नहीं रहता है. इसके लिए पशुपालन से जुड़े सभी विभाग वैक्सीनेशन से जुड़ा चॉर्ट मॉनसून के दौरान जरूरी जारी करते हैं.
क्योंकि बरसाती बीमारियों की रोकथाम के लिए सबसे बढि़या उपाय है टीकाकरण. बड़े पशु ही नहीं बकरियों के मामले में भी टीकाकरण करवाकर बकरे-बकरियों को खुरपका, बकरी की चेचक, बकरी की प्लेग जैसी बीमारियों समेत पैरासाइट से बचाया जा सकता है. जरूरत बस अलर्ट रहने की है. जरा सी भी लापरवाही होने पर एक बकरी में हुई बीमारी पूरे फार्म में फैल सकती है.
कौनसा और किस बीमारी का कब लगेगा टीका
गोट एक्सपर्ट का कहना है कि उम्र, मौसम और बीमारी के हिसाब से बकरियों को तमाम तरह की बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण सीआईआरजी की ओर से जारी किए गए चार्ट को देखकर ही कराना चाहिए. जैसे,
- खुरपका- 3 से 4 महीने की उम्र पर. बूस्टर डोज पहले टीके के 3 से 4 हफ्ते बाद. 6 महीने बाद दोबारा.
- बकरी चेचक- 3 से 5 महीने की उम्र पर. बूस्टर डोज पहले टीके के एक महीने बाद. हर साल लगवाएं.
- गलघोंटू- 3 महीने की उम्र पर पहला टीका. बूस्टर डोज पहले टीके के 23 दिन या 30 दिन बाद.
- पैरासाइट
- कुकडिया रोग- दो से तीन महीने की उम्र पर दवा पिलाएं. 3 से 5 दिन तक पिलाएं. 6 महीने की उम्र पर दवा पिलाएं.
- डिवार्मिंग- 3 महीने की उम्र में दवाई दें. बरसात शुरू होने और खत्म होने पर दें. सभी पशुओं को एक साल दवा पिलाएं.
- डिपिंग- दवाई सभी उम्र में दी जा सकती है. सर्दियों के शुरू में और आखिर में दें. सभी पशुओं को एक साथ नहलाएं.
- रेग्यूलर जांच
- ब्रुसेलोसिस- 6 महीने और 12 महीने की उम्र पर जांच कराएं. जो पशु संक्रमित हो चुका है उसे गड्डे में दफना दें.
- जोहनीज (जेडी)- 6 महीने और 12 महीने की उम्र पर जांच कराएं. संक्रमित पशु को झुंड से अलग कर दें.
- पीपीआर (बकरी प्लेग)- 3 महीने की उम्र पर. बूस्टर की जरूरत नहीं है. 3 साल की उम्र पर दोबारा लगवा दें.
- इन्टेरोटोक्समिया- 3 से 4 महीने की उम्र पर. बूस्टर डोज पहले टीके के 3 से 4 हफ्ते बाद. हर साल एक महीने के अंतर पर दो बार.
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