Artificial Insemination: अप्रैल से जून तक हीट में आएंगी बकरियां, 25 रुपये में ऐसे पाएं मनपसंद बच्चा 

Artificial Insemination: अप्रैल से जून तक हीट में आएंगी बकरियां, 25 रुपये में ऐसे पाएं मनपसंद बच्चा 

एक खास तकनीक से हीट में आई बकरी सिर्फ 25 रुपये में गाभिन हो जाती है. साथ ही जिस बकरे का सीमन इस्तेमाल किया जा रहा है उसका पूरा रिकॉर्ड भी मिलता है. 25 रुपये जैसी मामूली रकम में बकरी के मनपसंद बच्चे मिल जाते हैं. जबकि बकरी को पुराने पारंपारिक तरीके से गाभिन कराने पर 300 से 400 रुपये खर्च हो जाते हैं. 

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Artificial Insemination: अप्रैल से जून तक हीट में आएंगी बकरियां, 25 रुपये में ऐसे पाएं मनपसंद बच्चा बरबरी नस्ल की बकरियां. फोटो क्रेडिट-किसान तक

बकरियों से वक्त रहते बच्चे मिलते रहें. बच्चा देंगी तो दूध भी मिलेगा. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि बकरियों को वक्त से गाभि‍न कराया जाए. और वक्त से गाभि‍न कराने के लिए जरूरी है कि बकरियों की हीट को पहचाना जाए कि कब वो हीट में आ रही हैं. गोट एक्सपर्ट के मुताबिक एक ऐसा भी वक्त होता है जब बकरियों की हीट को आसानी से पहचाना जा सकता है. जैसे 10 अप्रैल से 15 जून के एक खास वक्त में बकरियां हीट में आती है. ऐसे में उनकी हीट पहचान कर उन्हें गाभि‍न कराया जा सकता है. गोट एक्सपर्ट इसके लिए बकरियों को कृत्रिम गर्भाधान कराने की सलाह देते हैं. 

इसे आर्टिफिशल इंसेमीनेशन (एआई) भी कहा जाता है. इसका फायदा ये भी है कि सिर्फ 25 रुपये में बकरी से मनपसंद बच्चा लिया जा सकता है. जैसा बच्चा चाहिए उसी तरह के बकरे का सीमन गर्भाधान में इस्तेमाल किया जा सकता है. जिस बकरे का सीमन इस्तेमाल किया जा रहा है उसका पूरा रिकॉर्ड भी मिलता है. इसकी मदद से आसानी से ये पता लगाया जा सकता है कि उसकी फैमिली का रिकॉर्ड अच्छा रहा हो. जैसे उसकी मां दूध ज्यादा देती हो. मीट के लिहाज से उसके पिता की बढ़वार (ग्रोथ) अच्छी हो. 

ऐसे बढ़ाया जा रहा है मनपसंद बकरे-बकरी का परिवार 

सीआईआरजी की सीनियर साइंटिस्ट चेतना गंगवार का कहना है कि आर्टिफिशल इंसेमीनेशन से बकरियों को गर्भवती किया जा रहा है. इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बकरी को एक अच्छे नस्ली बकरे का सीमन मिल जाता है. जिससे बकरी अच्छे और हेल्दी बच्चे को जन्म देती है. दूसरा ये कि इस तकनीक की मदद से पशुपालक का बकरे-बकरियों का झुंड नस्ल के आधार पर खराब होने से बच जाता है. क्योंकि होता ये है कि पशुपालक जाने-अनजाने में बकरी को गाभिन कराने के लिए एक ऐसे बकरे के पास ले जाते हैं जिसके बारे में उन्हें यह भी पता नहीं होता कि बकरे-बकरी की एक ही नस्ल है या अलग है. बकरे की बीमारियां और उसकी फैमिली के बारे में भी कुछ पता नहीं होता है.

ऐसे घट गया बकरी को गाभिन कराने का खर्च 

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने एक नई तकनीक पर काम शुरू किया है. इसका नाम है लैप्रोस्कोकपिक आर्टिफिशल इंसेमीनेशन तकनीक. इस तकनीक का इस्तेमाल कर मेमने का जन्म कराने वाले वैज्ञानिक योगेश कुमार सोनी का कहना है कि अभी तक दूसरी तकनीक का इस्तेमाल कर किसी एक नर बकरे के 100 मिलियन सीमन से एक ही मेमने का जन्म कराया जा रहा था. लेकिन नई तकनीक की मदद से अब 100 मिलियन सीमन में पांच मेमने जन्म ले सकेंगे. यानि की बकरे के एक बार के सीमन से पांच बकरी गाभिन हो सकेंगी. एक बकरी के लिए सिर्फ 20 मिलियन सीमन काफी रहेगा. 

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