Shrimp Farming: सरकार ने ये 10 काम किए तो नॉर्थ इंडिया के 4 राज्यों में खूब होगा झींगा उत्पादन

Shrimp Farming: सरकार ने ये 10 काम किए तो नॉर्थ इंडिया के 4 राज्यों में खूब होगा झींगा उत्पादन

देश के चार राज्यों में एक लाख से ज्यादा एकड़ जमीन ऐसी है जो खेती के लायक नहीं बची है. अभी यहां सरकार ने 58 हजार एकड़ जमीन चिन्हिडत की जिस पर झींगा पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. ये वो जमीन है जिस पर अनाज का एक दाना भी नहीं उगाया जा सकता है. लेकिन झींगा पालन होने से किसानों की किसमत बदल जाएगी. 

Advertisement
Shrimp Farming: सरकार ने ये 10 काम किए तो नॉर्थ इंडिया के 4 राज्यों में खूब होगा झींगा उत्पादनजानिए झींगा में होने वाले रोगों के बारे में

सीफूड एक्सपोर्ट में सबसे ज्यादा इनकम झींगा से होती है. 60 हजार करोड़ रुपये के सीफूड एक्सपोर्ट में करीब 40 हजार करोड़ रुपये का तो झींगा ही बिकता है. अभी गुजरात-आंध्र प्रदेश जैसे कोस्टल एरिया में ही झींगा का उत्पादन ज्यादा हो रहा है. लेकिन खारे पानी-मिट्टी में होने वाले इस झींगा उत्पादन के लिए नॉर्थ इंडिया के चार राज्यों में भी बड़े अवसर हैं. खासतौर पर इन चार राज्यों में झींगा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार पूरी कोशि‍श कर रही है. हाल ही में इस क्षेत्र के मछली पालक और झींगा पालकों से केन्द्रीय मत्स्य पालन विभाग के सेक्रेटरी ने बात की थी. 

जहां मछली पालकों का कहना है कि हम नए सिरे से झींगा पालन कर सकते हैं, जो पहले से कर रहे हैं वो उत्पादन बढ़ा सकते हैं, लेकिन सवाल ये है कि कुछ ऐसी जरूरतें हैं जिनका पूरा होना बहुत जरूरी है. अगर ये काम हो जाएं तो फिर झींगा उत्पादन में कोई रुकावट नहीं आएगी. इसमे संसाधन से लेकर सरकारी सहायता भी शामिल है. 

झींगा पालन से पहले ये डिमांड कर रहे किसान 

हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की खारी जमीन पर झींगा पालन करने की योजना पर काम चल रहा है. केन्द्र सरकार इस प्लान में पूरी मदद कर रही है. लेकिन इससे पहले चारों राज्यों के किसानों ने कुछ मांगों को उठाया है. उनका कहना है कि स्थापना लागत ज्यादा है, सब्सिडी कवरेज कम है, खारे पानी में जलीय कृषि के लिए प्रतिबंधात्मक दो-हेक्टेयर क्षेत्र सीमा पर विचार किया जाए, मिट्टी-पानी के खारेपन में उतार-चढ़ाव होता है, जमीन के पट्टे की दरों पर विचार हो, उच्च गुणवत्ता वाले बीज की कमी है. इसके साथ ही किसानों ने झींगा बाजार, कोल्ड स्टोरेज की सुविधाएं, सप्लाई का बुनियादी ढांचा, बढ़ती इनपुट लागत, उत्पादों के लिए कम बाजार कीमत भी बड़ी परेशानी है. किसानों का कहना है कि ये सब वो परेशानी हैं जो झींगा पालन में इंवेस्ट के बाद होने वाले रिटर्न में रोढ़ा बन रही हैं. 

झींगा पालन से पहले ये भी हैं किसानों की डिमांड 

केन्द्रीय मत्स्य पालन विभाग के साथ हुई चर्चा में किसानों ने ये भी क‍हा कि चुनौतियों से निपटने के लिए सभी चार राज्यों में झींगा पालन को मजबूत करने के लिए ज्यादा से ज्यादा केंद्रीय सहायता की जरूरत है. जलीय कृषि कार्यों के लिए इकाई लागत को बढ़ाकर 25 लाख रुपये करना, क्षेत्र सीमा को दो हेक्टेयर से बढ़ाकर पांच हेक्टेयर करना और पॉलिथीन लाइनिंग के लिए सब्सिडी बढ़ाना भी शामिल है. साथ ही सिरसा, हरियाणा में एक एकीकृत एक्वा पार्क की स्थापना और सप्लाई चैनलों में सुधार की भी सिफारिश की गई हैं. 

ये भी पढ़ें- Dairy: विदु ने 50 गाय पालकर दूध से कमाए 49 लाख और गोबर से 44 लाख, जानें कैसे 

ये भी पढ़ें- Goat Farm: देश के सबसे बड़े बकरी फार्म का हुआ उद्घाटन, मंत्री बोले पीएम का सपना हो रहा सच

 

POST A COMMENT