बकरियों को बीमारी से बचाना है तो ये 10 काम जरूर करें, एक्सपर्ट की बताई टिप्स पर अभी करें गौर
बकरी पालन में आने वाली कम लागत और पालन पोषण पर होने वाले कम खर्च के कारण बकरियों को गरीबों की गाय भी कहा जाता है. बकरी पालन में लाभ कमाने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना पड़ता है. खास कर बकरियों को बीमारी से बचाने की जरूरत होती है.
बकरी पालन आज के दौर में पैसा कमाने का एक बेहतरी जरिया है. बकरी पालन को एटीएम भी कहा जाता है क्योंकि इस पेशे में किसान जब भी चाहे बकरी बेचकर अपने पैसे की जरूरत पूरी कर सकते हैं. बकरी पालन की खासियत यह है कि इसे किसान छोटी जगह पर भी पाल सकते हैं. इसके खाने-खिलाने में खर्च कम होता है. बकरी पालन की खासियत यह है कि किसान इसे जब भी चाहे बेच सकते हैं और पैसे कमा सकते हैं.
कम लागत में पालन पोषण हो जाने के कारण इसे गरीबों की गाय भी कहा जाता है. बकरी पालन में लाभ कमाने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना पड़ता है. खास कर बकरियों को बीमारी से बचाने की जरूरत होती है.
बकरियों को बीमारी से बचाने के 10 उपाय
हर दिन बकरी की जांच करनी चाहिए. अगर कोई बकरी बीमार लग रही है तो उसे दूसरी बकरियों से अलग रखना चाहिए. इससे दूसरी बकरियों को बीमार होने से बचाया जा सकता है. एक बकरी से दूसरी बकरी में रोग का प्रसार हो सकता है.
अगर कोई बकरी बीमार है तो उसे चरने के लिए खुले में नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि इससे बीमारी का प्रसार दूसरे बकरियों में हो सकता है.
बकरी पालकों को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि हर तीन महीने में बकरियों को कृमि नाशक दवाई पिलाई जाए. विशेषकर बरसात से पहले और बरसात के बाद बकरियों को कृमिनाशक जरूर पिलाना चाहिए. अभी बारिश का मौसम शुरू होने वाला है, इसलिए किसानों को अपनी बकरियों को कृमि नाशक दवा पिलाने के लिए वेटनरी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
हर चार महीने में बकरियों को खुजली से बचाने के लिए कृमि नाशक दवाई से नहलाना चाहिए. खास कर बारिश से पहले और बारिश के बात यह करना जरूरी है. इसके लिए किसान पशु चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं.
पशुपालक अक्सर बकरियों का टीकाकरण तो कराते हैं पर उसके बाद इससे संबंधित नियमों का पालन नहीं करते हैं. इसलिए टीकाकरण के साथ दी गई स्वास्थ्य सलाह जरूर पढ़नी चाहिए.
बरसात के दिनों में बकरियों के रहने वाले स्थान पर जमीन में चूने का छिड़काव करना चाहिए.
इसके साथ ही हर तीन में बकरी के रहने वाले स्थान पर किसी बढ़िया क्वालिटी के कृमिनाशक या फिनायल का छिड़काव करना चाहिए.
बकरियों के रहने वाले कमरे की दीवारों को हर महीने चूने से पुताई करनी चाहिए.
गाभिन बकरियों को एंटेरोटॉक्सिमिया का टीका लगवाना चाहिए. पंद्रह दिन के बाद यह अवश्य लगाना चाहिए. यह बहुत जरूरी होता है, पर इसके लिए पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.
बकरियों का नियमित रूप से टीकाकरण करवाना चाहिए और कृमिनाशक दवा पिलाना चाहिए. साथ ही अपने पशु चिकित्सक से हमेशा संपर्क करना चाहिए.