Cow-Buffalo Calf: गाय-भैंस बच्चे को जन्म दे तो कम से कम 6 घंटे तक रखें सामने, ये होता है फायदा  

Cow-Buffalo Calf: गाय-भैंस बच्चे को जन्म दे तो कम से कम 6 घंटे तक रखें सामने, ये होता है फायदा  

Cow-Buffalo Calf पशुपालक छोटा हो या बड़ा हर किसी की एक ही चाहत होती है कि उसकी गाय या भैंस हर साल बच्चा दे. लेकिन किसी भी नस्ल की गाय-भैंस से हर साल बच्चा लेना इतना आसान नहीं है. और अगर हर साल बच्चा हो भी जाए तो फिर उसकी 20 दिन तक की देखभाल ऐसी है जैसे मौत के मुंह से निकालकर लाना. 

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Cow-Buffalo Calf: गाय-भैंस बच्चे को जन्म दे तो कम से कम 6 घंटे तक रखें सामने, ये होता है फायदा  गायों की खास देखभाल

Cow-Buffalo Calf मौसम कोई भी हो गाय-भैंस का बच्चा जन्म लेते ही एक नए वातावरण में आता है. ऐसे में खास जरूरत होती है कि बछड़े को गर्मी-सर्दी या बरसात जो भी मौसम हो उससे बचाया जाए. वहीं इस बारे में एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि जन्म लेने वाले बछड़े को विपरीत मौसम से बचाने के लिए जरूरी है कि उसे जन्म लेने के साथ ही गाय-भैंस के पास जो उसकी मां है कम से कम छह घंटे के लिए छोड़ देना चाहिए. क्योंकि जन्म के साथ भैंस और बच्चे के बीच प्राकृतिक रूप से एक रिश्ता होता है. 

उसी के चलते भैंस बछड़े के साथ कुछ घंटे तक ऐसा करती है जिससे बच्चे को थैरेपी मिलती है और मौसम के मुताबिक खुद को ढालने में मदद भी होती है. ये सब इसलिए भी जरूरी है कि ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि एक पशुपालक को सिर्फ दूध बेचकर ही मुनाफा होता है. जबकि ऐसा है नहीं. रीप्रोडक्शन (प्रजनन) भी पशुपालक के मुनाफे का एक बड़ा सोर्स है. 

बछड़े का गाय-भैंस के साथ कुछ घंटे रहना इसलिए है जरूरी 

  • बच्चा सामने होने पर भैंस उसे चाटकर साफ करती है. 
  • बच्चे को चाटने से उसकी त्वचा जल्दी सूख जाती है.
  • भैंस द्वारा बच्चे को चाटने पर उसके शरीर का तापमान नहीं गिरता है. 
  • चाटने से बच्चे का शरीर साफ हो जाता है खून दौड़ने लगता है. 
  • चाटने से भैंस और बच्चे के बीच दुलार बढ़ता है.
  • बच्चे को चाटने से भैंस को सॉल्ट और प्रोटीन मिलता है. 
  • भैंस बच्चे को नहीं चाटती है तो उसे साफ तौलिए से रगड़ दें.
  • जन्म लेने के एक-दो घंटे के अंदर बच्चे को भैंस की खीस जरूर पिलाएं. 
  • बच्चे को खीस पिलाने के लिए भैंस की जेर गिरने का इंतजार ना करें.
  • बच्चे को वक्त से पिलाया गया खीस बीमारियों से लड़ने में मदद करता है.
  • बच्चे को उसके वजन का 10 फीसद दूध पिलाना चाहिए. 
  • बच्चे को सुबह-शाम दो बार में दूध पिलाना चाहिए. 
  • पहला दूध पीने के बाद बच्चे का दो घंटे के अंदर गोबर करना जरूरी है. 
  • जन्म लेते ही बच्चे के ऊपर से जेर-झिल्ली हटा दें. 
  • बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो तो उसकी छाती की मालिश कर दें. 
  • ठीक से सांस ना आने पर बच्चे की पिछली टांगें पकड़ कर उल्टा लटकाएं.
  • नये ब्लेड या गर्म पानी में साफ की गई कैंची से बच्चे की नाल काट दें. 
  • जिस जगह से नाल काटी गई है वहां टिंचर आयोडीन लगा दें.
  • बच्चे को सर्दी से बचाने के संसाधनों का इंतजाम करें. 
  • 10 दिन की उम्र पर बच्चे को पेट के कीड़ों की दवा जरूर पिला दें. 
  • पेट के कीड़ों की दूसरी खुराक बच्चे को 21 दिन की उम्र पर पिलाएं.   

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