भैंस हर रोज ज्यादा से ज्यादा दूध दे. दूध में फैट भी ज्यादा हो. हर साल वक्त से हेल्दी बच्चा दे दे. खासतौर से इन्हीं दो-तीन चीजों पर पशुपालन की बुनियाद और उसका मुनाफा टिका होता है. लेकिन ये तब संभव है जब भैंस को अच्छा हरा-सूखा चारा मिले. खाने में मिनरल्स की मात्रा भी ठीक ठाक हो. लेकिन भैंस अच्छे से हरा चारा तब खाएगी जब उसकी हैल्थ अच्छी हो. उसे किसी भी तरह की कोई परेशानी ना हो. भैंस का मिजाज अच्छा हो. लेकिन बाड़े में बंधी भैंस के बारे में इतना सब मालूम करना एक पशुपालक के लिए मुमकिन नहीं है.
इसी को ध्यान में रखते हुए सेंट्रल बफैलो रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआईआरबी), हिसार एक खास डिवाइस बनाने पर काम कर रहा है. बिल गेट्स फाउंडेशन और उसकी सहयोगी एडिलेड यूनिवर्सिटी इसमे सीआईआरबी की मदद कर रहे हैं. आईआईटी, रुड़की भी इस रिसर्च में शामिल है.
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सीआईआरबी के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. अशोक बल्हारा ने किसान तक को बताया कि इसी साल अप्रैल से डिवाइस तैयार करने पर काम चल रहा है. ये डिवाइस पशुपालक के मोबाइल फोन से जुड़कर काम करेगी. करना ये होगा कि इस डिवाइस की मदद से पशुपालक भैंस के यूरिन में एक स्ट्रिप डालेगा. जब ये प्रक्रिया चल रही होगी तो पशुपालक का मोबाइल डिवाइस की रेंज में होगा. मोबाइल फोन में आईआईटी, रूढ़की द्वारा तैयार एक ऐप या सॉफ्टवेयर होगा. यूरिन का डाटा ऐप पर अपलोड हो जाएगा.
फिर उस डाटा को पशुचिकित्सक देखेंगे. डाटा देखने के बाद फोन पर ही पशुपालक के पास एडवाइजरी पहुंच जाएगी. एडवाजरी में भैंस की परेशानी बताने के साथ उसका समाधान भी बताया जाएगा. अगर भैंस को पशुचिकित्सक को दिखाने की जरूरत होगी तो ये भी बता दिया जाएगा.
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डॉ. अशोक का कहना है कि डिवाइस को इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि ये भैंस से जुड़ी चार चीजों के बारे में जानकारी देगी. पहली तो ये कि भैंस ठीक से चारा और मिनरल्स खा रही है या नहीं. चारा और मिनरल्स सही मात्रा में दिया गया है या नहीं. ऐसा तो नहीं कि कोई चारा भैंस हजम नहीं कर पा रही है. ये सब जानकारी पशुपालक के मोबाइल फोन पर आ जाएगी. भैंस बीमार तो नहीं है, भैंस को कोई अंदरूनी तकलीफ तो नहीं है. हैल्थ से जुड़ी इस तरह की जानकारी भी आएगी. तीसरा भैंस का मिजाज तो ठीक है, भैंस कहीं तनाव में तो नहीं है, ये भी बताया जाएगा. चौथा जो बहुत ही महत्वपूर्ण है वो ये कि भैंस के गर्भकाल के बारे में सटीक जानकारी मिलती रहेगी.
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