अंडे का प्रतीकात्मक फोटो.Poultry Egg पोल्ट्री ऐग यानि अंडे को लेकर कई तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं. अंडा खाने वालों का कहना है कि अब अंडा तोड़ते वक्त पहले के मुकाबले अंडे में खासतौर पर तीन तरह के बदलाव देखे जा रहे हैं. अंडा तोड़ने पर उसमे से अजीब सी स्मैल भी आने लगी है. अंडा देखने पर ही खराब सा महसूस होता है. अंडे की जर्दी हल्के पीले रंग की सफेदपन लिए हुए होती है. साथ ही जर्दी ठोस के बजाए टूटी हुई होती है. और ये सब हो रहा है बाजार में सात से आठ रुपये के बिकने वाले सफेद अंडे में. पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि ये सब हो रहा है पोल्ट्री फीड में होने वाले बदलाव के चलते.
और फीड में ये बदलाव किया जा रहा है उसे सस्ता बनाने के लिए. क्योंकि मक्का और सोयाबीन महंगा होने के चलते पोल्ट्री फीड की लागत बढ़ गई है. वहीं एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि अंडे में जो भी शिकायत आ रही है उसकी वजह सौ फीसद फीड है. नकली और मिलावटी अंडे जैसी कोई चीज नहीं होती है. एक्सपर्ट का ये भी आरोप है कि अंडे में इस तरह की शिकायत नॉर्थ इंडिया के एक खास राज्य से सप्लाई होने वाले अंडे में आ रही हैं.
यूपी पोल्ट्री एसोसिएशन के प्रेसिडेंट नवाब अकबर अली ने किसान तक को बताया कि बाजार में मक्का और सोयाबीन महंगे हो चुके हैं. पोल्ट्री फीड में 50 से 60 फीसद मक्का का इस्तेमाल होता है. जिसके चलते बीते दो साल में फीड के दाम बहुत ज्यादा बढ़ चुके हैं. जबकि बाजार में अंडे के दाम उतने नहीं बढ़े हैं जितनी लागत बढ़ गई है. इसी के चलते कुछ पोल्ट्री फार्मर ने मिलावट वाला सस्ता फीड खिलाना शुरू कर दिया है. हालांकि फीड में जिन चीजों की मिलावट की जा रही है वो अगर सही हों तो मुर्गियों को कम मात्रा में खिलाने पर नुकसान नहीं होता है. लेकिन अगर वो मिलावट वाला अनाज खराब है और जरूरत से ज्यादा खिलाया जा रहा है तो ऐसा फीड अंडे को खराब कर देता है.
नवाब अकबर अली का कहना है कि पोल्ट्री फीड को सस्ता करने के लिए फीड में खराब गेहूं और चावल के टुकड़े मिलाए जा रहे हैं. इसके साथ ही फीड में फिश मील (मछली का चूरा) और ब्लड मील मिलाया जा रहा है. यही वजह है अंडे में स्मैल आने लगती है. और जब फीड में मक्का की मात्रा कम होती है तो जर्दी का रंग हल्का पीला हो जाता है. साथ ही खराब गेहूं-चावल खिलाने के चलते जर्दी टूटने लगती है और कई बार तो घुल जाती है.
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