PT Bull: पशुपालकों का काला सोना होता है पीटी बुल, सर्दियों में ऐसे करें देखभाल 

PT Bull: पशुपालकों का काला सोना होता है पीटी बुल, सर्दियों में ऐसे करें देखभाल 

Semen of PT Bull हर एक पशुपालक की ये ख्वाहिश होती है कि चाहें ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ें, लेकिन हीट में आई भैंस को प्रोजेनी टेस्टिंग (पीटी) बुल से ही गाभि‍न कराया जाए. यही वजह है कि पीटी बुल को पशुपालक का काला सोना भी कहा जाता है. इसलिए उसकी खास तरीके से देखभाल की जाती है. 

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PT Bull: पशुपालकों का काला सोना होता है पीटी बुल, सर्दियों में ऐसे करें देखभाल बुल का प्रतीकात्मक फोटो.

भैंस जैसे ही हीट में आती है तो ऐसे में उसे गाभि‍न कराने के लिए प्रोजेनी टेस्टिंग (पीटी) बुल की जरूरत होती है. हालांकि अब तो पीटी बुल की सीमन स्ट्रॉ से भी काम हो जाता है. क्योंकि जागरुकता के चलते पशुपालक अब प्राकृतिक तरीके से भैंस को गाभि‍न कराने के बजाए आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (कृत्रिम गर्भाधान) से भी गाभि‍न कराने लगे हैं. लेकिन परेशानी ये है कि पशुपालन के क्षेत्र में न तो जल्दी पीटी बुल मिल पाता है और न ही पीटी बुल की सीमन स्ट्रॉ. कई बार तो पशुपालकों को आसपास के शहरों तक में पीटी बुल नहीं मिल पाता है. 

एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो इसकी एक वजह ये भी है कि हर कोई बुल पीटी बुल नहीं बन पाता है. कई साल की मेहनत और तमाम तरह के टेस्ट के बाद ही एक बुल को पीटी बुल का दर्जा मिलता है. इसी के चलते पीटी बुल को पशुपालकों का काला सोना भी कहा जाता है. और इसीलिए एक्सपर्ट हर एक मौसम में पीटी बुल की खास देखभाल की सलाह देते हैं. 

पीटी बुल के वीर्य की क्वालिटी के लिए जरूरी हैं ये काम 

  • बाड़े में सांड को सर्दी-गर्मी से बचाएं. 
  • प्राकृतिक गर्भाधान का स्थान बाड़े से दूर होना चाहिए.
  • सांड का बाड़ा आरामदायक और बड़ा हो जहां वो खुला भी घूम सके.
  • सांड का बाड़ा ऐसी जगह हो जहां से वो दूसरे पशुओ को भी देख सके.
  • सांड की उम्र कम से कम ढाई साल, वजन 350 किलोग्राम होना चाहिए.
  • कम उम्र के सांड को हफ्ते में दो या तीन बार ही ब्रीडिंग के लिए इस्तेमाल करें.
  • एक से दूसरी भैंस को गाभिन कराने के लिए सांड को कम से कम एक दिन का आराम दें.
  • भैंस को गाभि‍न कराते वक्त सांड के साथ सख्त व्यवहार ना करें. 
  • सांड को प्रतिदिन कम से कम एक घंटा कसरत करानी चाहिए. 
  • सांड की हर रोज मालिश करने के बाद उसे नहलाना चाहिए. 
  • हर छह महीने के बाद सांड के खून की जांच करानी चाहिए. 
  • सांड में ब्रुसेलोसिस समेत दूसरे यौन रोगों की जांच कराते रहें. 
  • चार्ट के मुताबिक सांड का टीकाकरण कराते रहना चाहिए. 
  • एक्सपर्ट द्वारा बताई गई डाइट ही सांड को देनी चाहिए.

ऐसे मिलता है पीटी बुल का तमगा

डॉ. सज्जन सिंह ने बताया कि एक सामान्य बुल को पीटी बुल बनाने के लिए खानपान के साथ और भी बहुत सारे काम किए जाते हैं. जैसे उस बुल से पैदा होने वालीं 80 से 100 भैंसों का दूध उत्पादन देखा जाता है. साथ ही वो बच्चा किस दर (रिप्रोडक्शन रेट) से दे रही है ये जांच भी की जाती है. लगातार बुल की टेस्टिंग की जाती है. और अच्छे पीटी बुल तैयार करने के लिए उन्हीं की बेटियों से पैदा होने वाले मेल बछड़ों को ही आगे के लिए तैयार किया जाता है. डेयरी फार्म में पीटी बुल रखकर भी कमाई की जा सकती है. आज पीटी बुल के वीर्य की एक स्ट्रॉ 800 से एक हजार रुपये तक की मिलती है.

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