Goat Farming: मीट-दूध के लिए बकरी पालन की सलाह दे रहा पशुपालन मंत्रालय, जानें वजह Goat Farming: मीट-दूध के लिए बकरी पालन की सलाह दे रहा पशुपालन मंत्रालय, जानें वजह
आज गांव ही नहीं शहर में भी बकरी पालन बढ़ रहा है. सरकारी बकरी पालन ट्रेनिंग सेंटर में भी 8वीं पास से लेकर बीए, एमबीए, इंजीनियरिंग, पीएचडी आदि की डिग्री लेकर लोग कोर्स करने आ रहे हैं. इसमे आर्मी, पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स समेत सरकारी विभागों के बड़े अफसर भी होते हैं.
बकरी का प्रतीकात्मक फोटो. फोटो क्रेडिट-किसान तकनासिर हुसैन - NEW DELHI,
- Apr 09, 2025,
- Updated Apr 09, 2025, 8:00 PM IST
बकरी के दूध और मीट की बहुत डिमांड है. ना सिर्फ देश में बल्किर ग्लोबल लेवल पर. ये कहना है केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का. सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए मंत्रालय ने ये बात कही है. पोस्ट में मंत्रालय ने बकरी पालन का मार्केट ट्रेंड बताया है. इतना ही नहीं एक दूसरी पोस्ट में मंत्रालय ने ऑर्गेनिक खेती और बकरी पालन को साथ जोड़कर करने की सलाह दी है. पोस्ट के शेयर होते ही लोग तरह-तरह की जानकारी ले रहे हैं. एक्सपर्ट की मानें तो डेयरी और पोल्ट्री के मुकाबले बकरी पालन तेजी से बढ़ रहा है.
सरकारी आंकड़े भी इसकी गवाही दे रहे हैं. नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के तहत लोन के लिए आने वाले आवेदन में सबसे ज्यादा बकरी पालन के लिए आ रहे हैं. इस बारे में एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि बकरी पालन आज सबसे सस्ता और आसान है. ये कम जगह और लागत में शुरू हो जाता है. दूसरा ये कि इससे मुनाफा भी खूब होता है. आज बाजार में बकरे के मीट के साथ-साथ बकरी के दूध की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है.
सस्ता और आसान है बकरी पालना
- बकरियों के लिए चारे का इंतजाम करने में परेशानी नहीं होती.
- बकरियां गाय-भैंस के मुकाबले सिर्फ 20 फीसद ही चारा खाती हैं.
- बकरी और इंसानों की खुराक में कोई समानता नहीं है.
- पोल्ट्री फीड में शामिल मक्का-सोयाबीन इंसान भी खाते हैं.
- सबसे ज्यादा मुनाफा बकरी के बच्चों से होता है.
- बकरी एक साल में दो बार बच्चे देती है.
- बकरी एक बार में दो से चार तकच बच्चे देती है.
- बकरियों को दूसरे पशुओं के मुकाबले कम बीमारी लगती हैं.
- बकरी का दूध आसानी से पचने और मेडिसिनल वैल्यू वाला होता है.
- बकरी के दूध से आने वाली अजीब सी स्मैल को कंट्रोल कर लिया गया है.
- बकरी की खाल उच्च गुणवत्ता वाली होती है.
- ब्लैक बंगाल बकरी की खाल दुनिया में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली होती है.
- बकरे का मीट बहुत स्वादिष्ट, पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक होता है.
- पहाड़ी इलाकों में पलने वाली बकरी के बाल की कीमत बहुत ज्यादा है.
- बकरी के मल-मूत्र में एनपीके की मात्रा ज्यादा होती है.
- बकरी के मल-मूत्र का इस्तेमाल मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने के लिए किया जाता है.
- बकरियों को रखने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती है.
- बकरियां कम जगह में दूसरे पशुओं के साथ आराम से रह लेती हैं.
- अच्छी ग्रोथ के साथ बकरियों को छत पर भी पाला जा सकता है.
- बकरियों को खुले में चराने के लिए ले जाना कोई जरूरी नहीं है.
- बकरियों की ज्यादातर नस्ल स्टॉल फीड पर ही पल जाती हैं.
- पालने के लिए बकरियां गाय-भैंस के मुकाबले सस्ती होती हैं.
- बकरियों की 41 नस्ल हैं जो हर तरह के मौसम में पल जाती हैं.
- दूध-मीट और ब्रीडिंग के लिए बकरियां पालकर मुनाफा कमाया जा सकता है.
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