देश में खेती-पशुपालन के अलावा किसानों को मत्स्य पालन के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिए केंद्र सरकार व विभिन्न राज्यों की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं. साथ ही मत्स्य पालन को कम लागत और अधिक मुनाफे का धंधा बनाने के प्रयास किए जा रहे है. अब इसमें तकनीकी सहयोग सहयोग भी लिया जा रहा है. आईसीएआर व इससे जुड़े अन्य संस्थान मत्स्य पालन में नई खोज और अवसरों की तलाश में काम कर रहे हैं. इसी क्रम में आईसीएआर- केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI) ने मछलियों के लिए पारंपरिक से हटकर वैकल्पिक भोजन (मछली दाना) बनाया है. इससे मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देने और टिकाऊ बनाने में सहायता मिलेगी.
यह फिश फीड (मछली दाना) ब्लैक सोल्जर फ्लाई (BSF) लार्वा के उपयोग से बनाया गया है, जो पर्यावरण के अनुकूल है. इस कीट प्रोटीन-बेस्ट फिश फीड से मछली के लिए पारंपरिक भोजन पर निर्भरता कम होगी. वर्तमान में पारंपरिक तरीका देखे तो फिश फीड के लिए मछलियों का ही इस्तेमाल किया जाता है, जिसका परिणाम अक्सर ओवरफिशिंग के रूप में सामने आता है और मछलियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव चढ़ाव देखने को मिलता है. इसके अलावा फिश फीड के रूप में सोयाप्रोटीन पर भी निर्भरता कम होगी.
ये भी पढ़ें - Dana Cyclone: ट्रांसपोंडर ने दाना चक्रवात से बचाई हजारों मछुआरों की जिंदगी और उनकी मोटर बोट, पढ़ें डिटेल
ICAR-CMFRI ने बड़े पैमाने पर इस फिश फीड (मछली दाना) के कमर्शियल प्रोडक्शन के लिए इस तकनीक को अमला इकोक्लीन को ट्रांसफर किया है. ICAR-CMFRI के निदेशक डॉ ग्रिंसन जॉर्ज और अमला इकोक्लीन के निदेशक जोसेफ निकलवोस ने एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए. अमला इकोक्लीन एक अपशिष्ट प्रबंधन और पर्यावरणीय समाधानों पर काम करने वाला एक स्टार्ट-अप है. दोनों ही फ़ीड को अनुकूल बनाए रखने के लिए आगे की रिसर्च और डेवलपमेंट में सहयोग जारी रखेंगे.
ICAR-CMFRI के समुद्री जैव टेक्नोलॉजी, मछली पोषण और स्वास्थ्य प्रभाग की शोध टीम के अनुसार, यह फ़ीड (मछली दाना) फिश फार्म की मछली प्रजातियों की वृद्धि दर को बनाए रखने में ज्यादा कारगर है. प्रोटीन स्रोत के रूप में बीएसएफ लार्वा भोजन का उपयोग करके, यह मछली फ़ीड मछली के भोजन के लिए एक स्थायी विकल्प प्रदान करता है. ब्लैक सोल्जर फ्लाई लार्वा कई आवश्यक पोषक तत्वों मौजूद है. इसमें 40-45 प्रतिश प्रोटीन सामग्री, वसा, अमीनो एसिड और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व मौजूद हैं. ये लार्वा विभिन्न प्रकार के कार्बनिक अपशिष्टों को खाने के चलते एक स्थायी प्रोटीन स्रोत के रूप में कारगर हैं.
प्रोसेसिंग के बाद, लार्वा को वसा रहित भोजन में तब्दील किया जाता है, जिसे बाद में आसानी से फिश फ़ीड फॉर्मूलेशन में इकट्ठा किया जा सकता है. यह फ़ीड फिश फार्म में मछली के विकास और सेहत दोनों को बढ़ावा देने वाले संतुलित आहार के रूप में काम करता है. बीएसएफ लार्वा फिश फीड से मछली पालकों की लागत कम होगी और यह तकनीक अपशिष्ट (Waste) में कमी और Aqua Farming के लिए स्थायी प्रोटीन स्रोत के रूप में कारगर साबित होगी.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today