बकरी पालन के लिए लोगों का रुझान बड़ी ही तेजी से बढ रहा है. इसका अंदाजा केन्द्रे सरकार की योजनाओं से भी हो जाता है. लेकिन एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि बकरी पालन में मुनाफा तब है जब वो सांटीफिक तरीके से किया जाए. तो क्या है बकरी पालन का साइंटीफिक तरीका, कैसे इसका पालन किया जाता है. इसके तहत किन-किन बातों का ख्याल रखना होता है, इसी सब के बारे में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), फरह, मथुरा ट्रेनिंग देता है. ये भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) का 756 एकड़ में फैला 44 साल पुराना संस्थान है.
यहां कक्षा आठ पास से लेकर बीटेक, पीएचडी और एमबीए कर चुके लोग बकरी पालन की ट्रेनिंग लेने आते हैं. रिटायर्ड आर्मी और सिविल सर्विस के अफसर भी यहां ट्रेनिंग लेने आते रहते हैं. ट्रेनिंग के दौरान सीआईआरजी में भेड़-बकरी को कैसे पालना है. कितनी उम्र पर कौनसा और कितना चारा देना है. बीमारी से बचाने के लिए कब-कौन से टीके लगने हैं. यहां तक की बाजार से बहुत ही कम दाम पर प्योबर नस्लल के बकरे-बकरी भी देता है.
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सीआईआरजी में बकरे-बकरी और मुजफ्फरनगरी नस्ल की भेड़ पालन की ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग कैसे की जा सकती है इससे जुड़ी पूरी जानकारी सीआईआरजी की बेवसाइट पर दी जाती है. ट्रेनिंग के लिए आनलाइन और डाक से आवेदन कर सकते हैं. बेवसाइट पर हैल्पलाइन नंबर 0565-2970999 और ईमेल आइडी- helplinecirg@gmail.com पर भी संपर्क कर सकते हैं. सात दिन की ट्रेनिंग में फीस के अलावा सीआईआरजी में ही रहने और खाने का अलग से पेमेंट करना होता है. अगर ट्रेनी चाहें तो सीआईआरजी के बाहर भी रह सकते हैं. कई बार आवेदन करने के बाद कुछ महीने का इंतजार भी करना होता है. क्योंकि पहले से ही दूसरे लोग वेटिंग में होते हैं.
सीआईआरजी के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. एमके सिंह ने किसान तक को बताया कि हमारे संस्थान से बकरे-बकरी लेने के लिए सबसे पहली शर्त ये है कि संस्थान के निदेशक के नाम एक आवेदन पत्र देना होगा. जिस नस्ल के लिए आप आवेदन कर रहे हैं अगर उस नस्ल के बकरे-बकरी उस वक्त संस्थान में उपलब्धी हैं तो जल्द से जल्द प्रक्रिया पूरी करने के बाद दे दिए जाते हैं. वर्ना इंतजार करना होता है.
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ये कोई जरूरी नहीं है कि जो आवेदक सीआईआरजी से ट्रेनिंग करेगा उसी को बकरे-बकरी दिए जाएंगे. ऐसा जरूर हो सकता है कि हम कभी-कभी ट्रेनिंग करने वाले को वरीयता दे देते हैं. यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में रहने वालों को वरीयता दी जाती है. संस्थान में मौजूद बरबरी, जखराना, जमनापारी, सिरोही नस्ल के बकरे-बकरी और मुजफ्फरनगरी भेड़ आवेदन करने पर दी जाती है.
आवेदन करने पर एक साल, दो साल या उससे ज्यादा उम्र तक के बकरे-बकरी दिए जाते हैं. बड़े आकार जैसे जमनापारी और जखराना नस्ल के बकरे-बकरी 12 हजार रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक के दिए जाते हैं. वहीं छोटे आकार की बकरी जैसे बरबरी 10 से 12 हजार रुपये तक में मिल जाती है. बकरे-बकरी की उपलब्धता के आधार पर पशुपालकों को एक या दो बकरे-बकरी दिए जाते हैं. लेकिन एक स्कीम के तहत जिसका फायदा सालभर में दो या तीन लोगों को ही मिलता है के तहत आठ से 10 बकरे-बकरी दिए जाते हैं. बाजार में ऐसे बकरे-बकरियों की कम से कम कीमत 20 से 25 हजार रुपये होती है.
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