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Goat Milk: दूध के लिए पाली जाने वालीं बकरियों की नस्ल और उनकी कीमत, पढ़ें पूरी डिटेल 

Goat Milk: दूध के लिए पाली जाने वालीं बकरियों की नस्ल और उनकी कीमत, पढ़ें पूरी डिटेल 

केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में बकरी के दूध का 62.61 लाख मिट्रिक टन उत्पादन हुआ था. यह भारत में कुल दूध उत्पादन का 3 फीसद हिस्सा है. जबकि साल 2014-15 में 51.80 लाख मीट्रिक टन दूध का उत्पाादन हुआ था. गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, लुधियाना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि बकरी के दूध के इस आंकड़े में वो किसान या पशु पालक शामिल नहीं है जो 4-5 बकरी पालकर उसके दूध को घर में इस्तेमाल करने के साथ ही पड़ोस में भी बेच देते हैं.

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बकरी का दूध निकालता पशुपालक. फोटो क्रेडिट- राशि‍द बकरी का दूध निकालता पशुपालक. फोटो क्रेडिट- राशि‍द

देश में अब मीट ही नहीं दूध के लिए भी बकरियां पाली जा रही हैं. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल डेढ़ से दो फीसद तक बकरियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. बीते छह साल में ही दूध उत्पादन के आंकड़े में भी जबरदस्त उछाल आया है. दूध 52 लाख टन से 62 लाख टन पर पहुंच गया है. देश में एक लीटर से लेकर पांच लीटर तक रोजाना दूध देने वाली बकरियों की नस्ल  भी मौजूद है. इस हिसाब से आज बकरी पालन लाखों की कमाई कराने वाला कारोबार बन गया है. 

जरूरत है बस यह जानने की कि किस इलाके में वातावरण के हिसाब से किस नस्ल की बकरी आराम से और ज्यादा दूध देगी. हमारे देश में बकरियों की ऐसी-ऐसी नस्ल मौजूद हैं जो कश्मीर-हिमाचल प्रदेश से लेकर केरल-गुजरात और अंडमान-निकोबार तक में पल जाती हैं और दूध भी देती हैं. 

ये हैं 750 ग्राम से लेकर पांच लीटर तक दूध देने वाली बकरियां 

भारत के मैदानी इलाकों की खास नस्ल- 

एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो यूपी, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में बकरियों की दर्जनों नस्ल पाई जाती हैं. लेकिन जो खास नस्ल सबसे ज्यादा डिमांड में रहती हैं और खासतौर पर मीट के साथ ही दूध के लिए भी पाली जाती हैं उसमे सिरोही की संख्या (19.50 लाख), मारवाड़ी (50 लाख), जखराना (6.5 लाख), बीटल (12 लाख), बरबरी (47 लाख), तोतापरी, जमनापारी (25.50 लाख), मेहसाणा (4.25 लाख), सुरती, कच्छी, गोहिलवाणी (2.90 लाख) और झालावाणी (4 लाख) नस्ल के बकरे और बकरी हैं.

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यह सभी नस्ल, खासतौर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात के सूखे इलाकों में पाई जाती हैं. यह वो इलाके हैं जहां इस नस्ल की बकरियों के हिसाब से झाड़ियां और घास इन्हें चरने के लिए मिल जाती हैं.  इसमे से बीटल को छोड़कर बाकी सभी नस्ल की बकरियां 750 ग्राम से लेकर 1.5 लीटर तक दूध देती हैं.

अगर इनकी कीमत की बात करें तो पहली ब्यात (पहला बच्चा देने) के बाद इनकी कीमत 15 से 20 हजार रुपये होती है. खासतौर पर दूध देने वाली बकरी की कीमत उसकी ब्यात यानि पहला बच्चा कब दिया या दूसरा और तीसरा बच्चा के साथ ही दूध की मात्रा पर निर्भर करती है. 

अब अगर बीटल बकरी की बात करें तो पहली ब्यात की बीटल बकरी 20 से 25 हजार रुपये तक में मिलती है. क्योंकि बकरियों में बीटल ही ऐसी नस्ल है जो सबसे ज्यादा पांच लीटर तक दूध देती है. दूध देने के मामले में नीदरलैंड से आई एनीमल एक्सपर्ट की टीम भी बीटल बकरी की पीठ थपथपा चुकी है. ये खासतौर पर पंजाब की नस्ल है. 

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राजस्थान की करोली और सोजत भी हुई शामिल 

हाल ही में सोजत, करोली और गुजरी नस्ल  की बकरियों को भी रजिस्टैर्ड ब्रीड की लिस्टि में शामिल किया गया है. सोजत नस्ल की बकरी नागौर, पाली, जैसलमेर और जोधपुर में पाई जाती है. यह जमनापारी की तरह से सफेद रंग की बड़े आकार वाली नस्ल की बकरी है. हालांकि इस नस्ल को खासतौर पर मीट के लिए पाला जाता है. लेकिन इस नस्ल की बकरी दिनभर में एक लीटर तक दूध देती है. सोजत की नार्थ इंडिया समेत महाराष्ट्र में भी खासी डिमांड रहती है. 

कोटा, बूंदी, बांरा और सवाई माधोपुर में करोली नस्ल की बकरियों खूब पाली जाती हैं. औसत 1.5 लीटर तक दूध रोजाना देती हैं. लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो राजस्थान और यूपी के लोकल बाजारों में इसके मीट की खासी मांग है. इसका पूरा शरीर काले रंग का होता है. सिर्फ चारों पैर के नीचे का हिस्सा भूरे रंग का होता है. इसकी एक खास बात यह भी है कि सिर्फ मैदान और जंगलों में चरने पर ही यह वजन के मामले में अच्छा रिजल्ट देती है. इस नस्ल की बकरी की कीमत भी पहली ब्यात पर 15 से 20 हजार रुपये होती है. 

वो पांच राज्य जहां दूध देने वाली बकरियां ज्यादा हैं 

राजस्थान- 68 लाख 
उत्तर प्रदेश- 46 लाख 
मध्य प्रदेश- 41 लाख 
महाराष्ट्र- 37 लाख 
तमिनाडू- 32 लाख.