मार्च की शुरुआत वो वक्त होता है जब माइग्रेट बर्ड अपने देशों को लौट रही होती हैं. देश के कई हिस्सों में माइग्रेट बर्ड चार-पांच महीने पहले से डेरा डाल देती हैं. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो माइग्रेट बर्ड से पशुओं के जूनोटिक डिजीज की चपेट में आने की संभावना ज्यादा हो जाती है. यही वजह है कि एक्सपर्ट मार्च की शुरुआत से ही डेयरी और एनीमल फार्म पर बायो सिक्योरिटी का पूरी तरह से पालन करने की सलाह देते हैं. एक्सपर्ट का दावा है कि जिस फार्म पर मार्च ही नहीं पूरे साल बायो सिक्योरिटी के उपाय अपनाए जाते हैं तो वहां जूनोटिक तो क्या छोटी से छोटी बीमारी भी नहीं होती है.
पशुपालन मंत्रालय की ओर से चलाए जाने वाले नेशनल वन हैल्थ मिशन (NOHM) के तहत भी बायो सिक्योरिटी का पालन करने की सलाह दी जाती है. बायो सिक्योरिटी पर इसलिए भी जोर दिया जाता है कि पशुओं से इंसानों को होने वाली बीमारियों को जूनोटिक डिजीज कहा जाता है. मिशन से जुड़े एक्सपर्ट की मानें तो NOHM से सिर्फ पशुओं को ही नहीं हयूमन हैल्थ यानि इंसानों को भी जोड़ा गया है.
पशुपालन मंत्रालय से जुड़े जानकारों की मानें तो वन हैल्थ मिशन के तहत एनीमल फार्म पर बॉयो सिक्योरिटी बहुत जरूरी है. कोरोना, लंपी, इबोला बर्ड फ्लू जैसी बीमारी फैलने के बाद से तो इसकी जरूरत और ज्यादा महसूस की जाने लगी है.
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