कुछ वक्त पहले तक बकरी पालन को शर्म की निगाह से देखा जाता था. बकरियों को गरीबों की गाय कहा जाता था. खासतौर से पंजाब में लोग बकरी पालने से कतराते थे. लेकिन आज उसी पंजाब में बड़े ही शान से बकरियां पाली जाती हैं. पंजाब में बकरियों की नस्ल भी ऐसी है जो गाय से ज्यादा दूध दे रही है. पंजाब की इस बकरी को दूसरे प्रदेश के लोग भी पालने के लिए ले जा रहे हैं. बीटल नस्ल की इस बकरी के बारे में गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, लुधियाना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह भी कई खूबियां गिनाते हैं.
वैसे तो देश में बकरियों की 37 रजिस्टर्ड नस्ल हैं. हर एक नस्ल की अपनी एक अलग खासियत है. किसी नस्ल को मीट के लिए पसंद किया जाता है तो कोई दूध के लिए पाली जाती है. कुछ ऐसी भी नस्ल हैं जो दूध और मीट दोनों के लिए पाली जाती हैं. ठंडे और पहाड़ी इलाके की तीन खास नस्ल पश्मीना के लिए पाली जाती हैं. जबकि पश्मीना देने वाली नस्ल के बकरे बोझा ढोने के काम में भी लिए जाते हैं.
डॉ. इन्द्रजीत सिंह गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, लुधियाना के वाइस चांसलर हैं. किसान तक से बात करते हुए उन्होंने बताया कि बीटल नस्ल की बकरी प्रति दिन 5 लीटर तक दूध देती है. जबकि देसी गाय के दूध का एवरेज 2.5 लीटर प्रति दिन है. गाय को रोजाना 7 से 8 किलो सूखा चारा चाहिए, जबकि बकरी के लिए दिनभर में ज्यादा से ज्यादा 2 किलो बहुत हो जाता है. बीटल बकरी साल में दो बार बच्चे देती है. एक बार में बकरी दो से तीन बच्चे तक देती है. जबकि गाय बकरी के इस मुकाबले में कहीं नहीं ठहरती है.
ये भी पढ़े- देश के इन तीन राज्यों में सबसे ज्यादा होता है अंडा उत्पादन
अगर कोई परिवार घर में दूध की डिमांड पूरी करने के लिए बीटल बकरी को पाल लेता है तो उसका दूध पर होने वाला खर्च बहुत ही कम हो जाएगा. दूसरी ओर अगर कोई बीटल बकरी को दूध का कारोबार करने के लिहाज से पालता है तो वो भी अच्छी कमाई कर सकता है. क्योंकि आज बकरी के दूध की डिमांड को देखते हुए उसकी कोई एक कीमत तय नहीं है.
ये भी पढ़े- Goat Farming: बकरी पालन की बना रहे हैं योजना, पहले जान लें टॉप 20 नस्ल
एम्स अस्पताल के सामने डेंगू मरीजों ने एक मोटी रकम खर्च कर बकरी का दूध पिया था. जो पंजाब बकरी पालने में शर्म महसूस करता था आज उसी पंजाब में बकरियों के 100 से ज्यादा बड़े फार्म हैं. ज्यादातर लोग बकरी के दूध का कारोबार कर रहे हैं.
ये भी पढ़े-
जानिए खाने के लिए कितने दिनों में तैयार होती है एक मछली
मानसून के समय हलारी गधों की 'तलाश' होती है पूरी, इन कारणों से बनी है डिमांड
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today