Heat stroke in Animals: उत्‍तर भारत के पशुपालक ध्‍यान दें! अपने जानवरों को भीषण गर्मी और लू से ऐसे बचाएं 

Heat stroke in Animals: उत्‍तर भारत के पशुपालक ध्‍यान दें! अपने जानवरों को भीषण गर्मी और लू से ऐसे बचाएं 

Animal Husbandry News: गर्मी का असर जानवरों पर भी होता है. हीटस्‍ट्रोक के समय उनके शरीर का तापमान 103 डिग्री से 110 डिग्री फॉरेनहाइट तक बढ़ जाता है. समय रहते इलाज नहीं करने पर जानवर की मौत तक हो सकती है. गर्मियों में जानवरों को लू लगना या फिर हीट स्‍ट्रोक होना साधारण बात है. मगर फिर भी कुछ पशुपालक लक्षणों को समय रहते समझ नहीं पाते हैं.

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 उत्‍तर भारत के पशुपालक ध्‍यान दें! अपने जानवरों को भीषण गर्मी और लू से ऐसे बचाएं Heat Stroke In Animals: गर्मी का मौसम जानवरों को भी परेशान करता है.

केरल और दक्षिण के राज्‍यों में भले ही मॉनसून आने वाला है और प्री-मॉनसून बारिश जारी है लेकिन उत्‍तर भारत में अभी भी गर्मी का प्रकोप जारी है. उत्‍तर प्रदेश से लेकर राजस्‍थान, पंजाब, दिल्‍ली, हरियाणा और तमाम राज्‍यों में फिलहाल गर्मी राहत मिलती नहीं दिख रही है. कुछ राज्‍यों में पारा 40 पार कर चुका है. ये मौसम पशुपालकों को काफी परेशान कर रहा है. जानवरों में हीटस्‍ट्रोक के केसेज न बढें इसके लिए इस मौसम में खास ध्‍यान रखना पड़ता है. विशेषज्ञों की सलाह है कि पशुपालकों को जैसे ही जानवरों में हीटस्‍ट्रोक के लक्षण नजर आएं तुरंत ही उनका इलाज कराएं.  

जानवरों पर होता गर्मी का असर 

गर्मी का असर जानवरों पर भी होता है. हीटस्‍ट्रोक के समय उनके शरीर का तापमान 103 डिग्री से 110 डिग्री फॉरेनहाइट तक बढ़ जाता है. समय रहते इलाज नहीं करने पर जानवर की मौत तक हो सकती है. गर्मियों में जानवरों को लू लगना या फिर हीट स्‍ट्रोक होना साधारण बात है. मगर फिर भी कुछ पशुपालक लक्षणों को समय रहते समझ नहीं पाते हैं. अगर जानवर एक ही जगह पर खड़ा है, बेचैन है या फिर बैठ जाता है, तो उसकी हालत ठीक नहीं है. ऐसे में उन्‍हें तुरंत इलाज की जरूरत होती है. साथ ही गौशाला में उनके ट्रीटमेंट के लिए उपाय किए जाने चाहिए.

जानवरों में हीटस्‍ट्रोक के लक्षण 

  • अगर जानवर के दिल की धड़कन बढ़ी हुई है या फिर वह हांफ रहा या मुंह से सांस ले रहा है तो भी बीमार होने के लक्षण है.
  • उनकी स्किन ड्राई हो जाती है और गर्म बनी रहती है. जानवर खाना या फिर चारा खाना बंद कर देता है.
  • बहुत ज्‍यादा पसीना आता है और मुंह से लगातार लार बहने लगती है.
  • जानवर हमेशा प्‍यासा रहता है. वह पानी में बैठने की कोशिश करता है या फिर पानी पीने की कोशिश करता है.
  • तापमान बढ़ता है  तो जानवर हांफने लगता है. चलते समय अगर वह बेहोश हो जाता है तो भी यह हीटस्‍ट्रोक का लक्षण है.
  • पसीने और पानी की कमी से शरीर में पानी और नमक का संतुलन बिगड़ जाता है.
  • नमक की कमी से जानवरों की पानी पीने की इच्‍छा नहीं होती है.
  • अगर हीटस्‍ट्रोक बहुत गंभीर है तो फिर जानवर के पेट में दर्द होगा. जानवर, अपने पैरों को मारता है.

अगर लग जाए लू तो क्‍या करें 

 जानवर के शरीर पर दिन में दो से तीन बार पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए. आप इसके लिए फॉगर सिस्‍टम का प्रयोग भी कर सकते हैं. दोपहर में गर्मी के असर को कम करने के लिए पानी में भीगे हुए टाट को पर्दे के तौर पर प्रयोग करना चाहिए ताकि शाला ठंडी रह सके. वहीं दुहने से पहले दिन में दो बार अगर जानवरों को पानी से नहलाया जाए तो भी तनाव कम होता है और दूध का उत्‍पादन ज्‍यादा होता है. नियमित तौर पर 30 से 50 ग्राम तक रॉक सॉल्‍ट या फिर मिनिरल सॉल्‍ट का प्रयोग डाइट में करें. जानवरों को पीने के लिए ठंडा और साफ पानी दें. साथ ही उनके शरीर और पीठ पर ठंडा पानी डालें. अगर जानवर खाना नहीं खा रहा है तो फिर उन्‍हें गुड़ की कुछ मात्रा दें ताकि वह उसे चाटता रहे.

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