गेहूं खरीद का सीजन कुछ राज्यों में जारी है जिसमें राजस्थान और यूपी भी शामिल हैं. अब सरकार की तरफ से एक ऐसी पहल की गई है जिससे किसानों को बड़ा फायदा होने की उम्मीद बढ़ गई है. एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने इस बार फॉर्मर प्रोडयूसर्स ऑर्गनाइजेशंस यानी एफपीओ से हाथ मिलाया. देश के दो अहम गेहूं उत्पादक राज्य राजस्थान और उत्तर प्रदेश में गेहूं की खरीद के लिए सरकार की तरफ से एफपीओ को जिम्मेदारी सौंपी गई.
राजस्थान और यूपी दोनों ही राज्यों में अप्रैल में शुरू हुआ गेहूं खरीद सीजन जून तक चलेगा. साल 2025-26 के मार्केटिंग साल के लिए सरकार ने एफपीओ के साथ करार किया है. सहकारिता के क्षेत्र में सबसे बड़ी भागीदारी वाला NCCF ने 18 एफपीओ से 0.25 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा है. ये गेहूं किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर खरीदा गया है. वहीं राजस्थान में जारी खरीद प्रक्रिया के तहत 0.32 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य तय किया गया है. NCCF के एमडी एनिस जोसेफ ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस से कहा, 'हमारे जैसे सहकारिता संस्थानों से FCI के साथ मिलकर खरीद प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए कहा गया है.'
उन्होंने बताया कि इस तरह की प्रैक्टिस का मकसद सिर्फ एफपीओज और दूसरी प्राथमिक कृषि क्रेडिट सोसायटीज (PACS)उनसे जोड़ना है. साथ ही उन्हें खरीद की मुख्य व्यवस्था का हिस्सा बन सकें.' उन्होंने बताया कि एफपीओ की तरफ से 17 हजार से ज्यादा किसानों से गेहूं खरीदा गया है. इस तरह की खरीद में राजस्थान का हनुमानगढ़ जिला सबसे आगे है. हरदयालपुर फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी जो राजस्थान के हनुमानगढ़ में है, उसके सीईओ प्रवीण गोदारा ने कहा है कि उनकी कंपनी ने किसानों से 6000 टन गेहूं खरीदा है और किसानों को NCCF की तरफ से पेमेंट भी की जा चुकी है.
इन एफपीओज ने अब तक 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का गेहूं NCCF को बेचा है. एफपीओज और पैक्स की तरफ से इस बार यूपी में गेहूं किसानों से खरीदा गया है और यह खरीइ इस बार आमतौर पर अनुमान से कम है. यूपी जो देश का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य है, वहां पर एफपीओज और NCCF की तरफ से 75 हजार टन गेहूं खरीद का टारगेट सेट किया गया है.
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